Dhanana Basant Aarushi murder case update: Why was the devilish father angry with the children, confession in front of the police
धनाना बसंत आरुषि मर्डर केस में बड़ा खुलासा, सुभाष ने क्यों रचा ड्रामा
भिवानी जिले के गांव धनाना में हैवान पिता ने बेटा बेटी की हत्या कर दी थी और वह इस हत्याकांड में अपने ही माता-पिता को फंसाना चाहता था। ताकि एक तीर से उसके जीवन में आने वाले सारे रोड़े साफ हो जाएं। उसने इसके लिए बेटा बेटी की हत्या करने के बाद जहर पीने का भी ऐसा ड्रामा चाहती उसकी वीडियो सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी। लेकिन रोहतक कीजिए ऐसे छुट्टी मिलने के बाद पुलिस पूछताछ में आरोपित ने शोक आने वाला खुलासा किया कि सबकी रूह कांप उठी।
आपको बता दें कि गांव धनाना निवासी सुभाष ने अपने 17 वर्षीय बेटे बसंत और 16 वर्षीय बेटी आरुषि की गला घोटकर हत्या कर दी थी। उसे समय सुभाष के पिता घर से बाहर गए हुए थे और उसकी मां उसके मामा के घर गई थी। जबकि सुभाष की पत्नी और बसंत व आरुषि की मां का 8 में को देहांत हो गया था। 8 जून को भी सुभाष ने अपनी पत्नी के एक महीना पूरे होने पर उसने ऐसा ड्रामा रचा कि सब उसकी बातों पर यकीन करने लगे कि वह पत्नी की मौत के बाद परेशान था। सब यह मान रहे थे कि पत्नी के मौत का सदमा सुभाष को बहुत बड़ा झटका दे गया है लेकिन सुभाष के मन में कुछ अलग ही लाडू फूट रहे थे। दूसरों के सामने पत्नी के गम में डूबा दिखाई देने वाला सुभाष अंदर ही अंदर कुछ अलग ही खिचड़ी पक्का रहा था।
बेटा बेटी की हत्या कर माता-पिता को फंसाकर करना चाहता था आरोपित
8 जून को सुभाष ने जूस में अपने बेटे बसंत और बेटी आरुषि को नशे की करीब दो दर्जन गोलियां पीला दी और उसके बाद दोनों के हाथ पांव बांधकर उनका गला दबाकर हत्या कर दी। पुलिस पूछताछ में सुभाष ने बुताया कि उसने बसंत और आरुषि को नींद की गोलियां इसलिए पिलाई ताकि वे उसके चुंगल से बचकर भागना सके। अगर नशा ढीला हो तो इससे बचने के लिए सुहास में उनके हाथ पांव रस्सी से बांध दिए थे और उसके बाद उसने दोनों को फांसी तोड़ दिया। दोनों बच्चों की हत्या करने के बाद उसने आज पड़ोस के लोगों को यह दिखाने के लिए ड्रामा रचा क्यों है खुद भी जहरीला पदार्थ निगलकर आत्महत्या कर रहा है।
पीजीआई से छुट्टी मिलने के बाद सुभाष को भिवानी पुलिस पूछताछ के लिए गिरफ्तार करके अपने साथ ले आई। पुलिस पूछताछ में आरोपित सुभाष शुरुआत में तो पहले की तरह ही ड्रामा करता रहा। लेकिन जब पुलिस ने अपने तीखें तेवर दिखाते हुए पूछताछ की तो सुभाष ने खुलासा किया कि अपनी पत्नी सरोज की मौत के बाद उसके मन में दूसरी शादी करने के लड्डू फूटने लगे थे। इसको लेकर उसने अपने बेटे बसंत और बेटी आरुषि से बातचीत की तो उन्होंने मना कर दिया। सुभाष ने बताया कि बसंत और आरुषि ने हवाला दिया कि अब हम बड़े हो गए हैं मां की कोई जरूरत नहीं है और पता नहीं दूसरी मां कैसी आएगी। वह अंदर ही अंदर अपने दोनों बेटा बेटी और माता-पिता से भी रंजिश रखने लगा था कि उसकी दूसरी शादी में यह सब रोड़ा बनने वाले हैं। सुभाष ने इसके लिए प्लानिंग भी शुरू कर दी थी ताकि सबको एक साथ रास्ते से हटाया जा सके।
सुभाष ने खुलासा करते हुए बताया कि बेटा बेटे की हत्या करने के बाद जब उसने ड्रामा रखा कि वह खुद मानसिक रूप से कितना परेशान हो चुका है कि अपने ही बेटा बेटी की हत्या कर दी क्योंकि उसकी मां ने उसकी पत्नी की हत्या कर दी थी। इसके लिए उसने सोशल मीडिया पर वीडियो डालकर पूरा ड्रामा रच दिया।
मृतक बसंत और आरुषि के दादा आजाद सिंह ने बताया कि शादी के बाद से ही सुभाष के तेवर बदल गए थे। वह अफसर पति-पत्नी ( माता-पिता ) के साथ मारपीट करता रहता था। आजाद ने बताया कि बुजुर्ग होने के बावजूद भी है खेती बाड़ी का सारा काम खुद करता था जबकि उसका बेटा सुभाष कभी कभार ही काम में हाथ बटवाता था और जब भी हाथ बंटवाता तो ताने मारता की फ्री में टिकड़ ( रोटी ) कहां से मिलेंगे। आजाद ने आरोप लगाया कि 7 मई को जब वह खेत में गया हुआ था तो सुभाष और उसकी पत्नी सरोज ने उसकी पत्नी मेवा देवी की पिटाई कर दी थी। जब वह घर पर आया तो उसे अपनी पत्नी नहीं मिली जो कि उनके दर के मारे पड़ोसियों के यहां छिपी बैठी थी।
जब उसे इस बात का पता चला तो उसने गुस्से में आकर सुभाष को थप्पड़ मार दिया। उस समय तो सुभाष कुछ नहीं बोला लेकिन अगले दिन उसके साथ मारपीट की। आजाद ने बताया कि इसी दौरान सुभाष की पत्नी सरोज का बीपी लो हो गया और उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। जब उसने बहू को अस्पताल ले जाने की बात कही तो उसने कोई ध्यान नहीं दिया और बीपी ज्यादा लो होने की वजह से सरोज की मौत हो गई। लेकिन अब वह है पत्नी की मौत के लिए अपने बुजुर्ग माता-पिता को ब्लेम कर रहा है। जबकि उसके लापरवाही के चलते ही उसकी पत्नी की मौत हुई है अगर वह समय पर उसे डॉक्टर के पास ले जाता तो शायद वह आज जिंदा होती।
आजाद ने बताया कि उसके पोता पोती बहुत ही अच्छे थे और पढ़ाई में भी होशियार थे। दोनों बच्चे 12वीं कक्षा की पढ़ाई कर रहे थे और हमेशा कहते थे कि दादा-दादी हम बड़ा होने पर आपको वह सुख देंगे जो उसके माता-पिता ने नहीं दिया। इसी बीच सुभाष की पत्नी की मौत के बाद सुभाष ने जब बच्चों की हत्या की तो उसने इसका ब्लेम भी उन पर झूठ लग रहा है। आजाद ने बताया कि पूरे गांव के लोगों को पता है कि बेटे और बहू के ज़ुल्म के चलते हैं वह अधिकतर समय रिश्तेदारों के यहां बिताते हैं। क्योंकि सुभाष के दर से उनकी इतनी हिम्मत नहीं हो पाती थी कि वह रसोई घर से रोटी उठाकर खा ले। आजाद ने बताया कि तीन दिन पहले तक इस घर में बच्चों की उछाल-कूद व किलकारी सुनती थी। लेकिन वही घर आज वीराना पड़ा है। 1 महीने में उसका पूरा परिवार बर्बाद हो गया।
बसंत और आरुषि की हत्या का मामला सुभाष पर उसकी मां मेवा देवी नहीं दर्ज करवाया है। सुनने में आ रहा है कि करीब 1 महीने पहले ही सुभाष ने 35 लाख रुपए का जीवन बीमा भी करवाया था लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।