Father of road planning in India: Special story on the birthday of Atal Bihari Vajpayee
अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी दिवस 25 दिसंबर 2025, सुशासन दिवस पर विशेष
अटल बिहारी वाजपेयी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, को ‘भारत में सड़क योजना के जनक’ के रूप में जाना जाता है। यह उपाधि उनके कार्यकाल (1998-2004) के दौरान देश में सड़क और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए उनकी दूरदृष्टि और असाधारण योगदान के कारण उन्हें दी गई। वाजपेयी जी ने न केवल आधुनिक भारत के निर्माण के लिए अपनी दूरदर्शिता का परिचय दिया, बल्कि उन्होंने ग्रामीण और शहरी भारत को सड़कों और राजमार्गों के माध्यम से जोड़ने के महत्व को भी पहचाना। उनके नेतृत्व में देश ने सड़क निर्माण के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की, जिससे सामाजिक-आर्थिक विकास में तेजी आई। उनके प्रयासों का मुख्य उद्देश्य भारत को एक मजबूत, संगठित और प्रगतिशील राष्ट्र बनाना था।
अटल बिहारी वाजपेयी ने सड़क योजनाओं के माध्यम से न केवल शहरों और गांवों को आपस में जोड़ा, बल्कि भारत के व्यापार, कृषि, शिक्षा और उद्योग के बुनियादी ढांचे को भी मजबूती प्रदान की। उन्होंने सड़कों को सिर्फ एक यातायात माध्यम के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के आधार के रूप में देखा। उनके कार्यकाल की दो मुख्य योजनाएं थीं–प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) और स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (Golden Quadrilateral Project)। ये योजनाएं न केवल भारत के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने में मददगार रहीं, बल्कि उन्होंने भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी मजबूत किया।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) का शुभारंभ वर्ष 2000 में किया गया था। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण भारत को ध्यान में रखते हुए शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य गांवों को मुख्य सड़कों और शहरों से जोड़ना था, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं और सेवाएं प्राप्त करने में आसानी हो। इस योजना के तहत, उन गांवों को प्राथमिकता दी गई जो 500 से अधिक की जनसंख्या वाले थे, और पहाड़ी तथा दूरस्थ क्षेत्रों में यह सीमा 250 की आबादी वाले गांवों के लिए लागू थी। इस योजना ने न केवल परिवहन को सुगम बनाया, बल्कि स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे क्षेत्रों में भी सुधार किया। दूरदराज के गांवों में सड़कें बनने से किसान अपने उत्पाद आसानी से बाजार तक पहुंचाने में सक्षम हुए, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले बच्चों को शिक्षा और अन्य सुविधाओं तक पहुंचने का अवसर मिला।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। यह योजना भारत के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई, क्योंकि इसने सामाजिक असमानताओं को कम करने में योगदान दिया। गांवों को शहरों से जोड़ने का यह प्रयास न केवल बुनियादी सुविधाओं की पहुंच को आसान बनाता है, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की दूरी को भी कम करता है। इसके तहत, लाखों किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया, जिससे ग्रामीण भारत के लाखों लोगों का जीवन बदल गया।
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना (Golden Quadrilateral Project) अटल बिहारी वाजपेयी की एक और ऐतिहासिक योजना थी। इस परियोजना का लक्ष्य भारत के चार प्रमुख महानगरों – दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता – को उच्च गुणवत्ता वाली सड़कों से जोड़ना था। यह परियोजना भारत की सबसे महत्वाकांक्षी और बड़ी सड़क योजनाओं में से एक थी। इसके तहत चार-लेन और छह-लेन हाईवे का निर्माण किया गया। इस परियोजना ने भारत के व्यापार, परिवहन और पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना के तहत, भारत में 5846 किलोमीटर लंबे राजमार्गों का निर्माण किया गया। यह परियोजना भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम (NHDP) का हिस्सा थी और इसका उद्देश्य भारत के विभिन्न हिस्सों को तेज, सुरक्षित और कुशल परिवहन सुविधाओं से जोड़ना था। इस परियोजना ने माल परिवहन की लागत को कम किया और देश के विभिन्न हिस्सों में उत्पादों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित की। इसके परिणामस्वरूप, भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी आई और औद्योगिक क्षेत्रों को भी बढ़ावा मिला।
इस परियोजना के कारण भारत के औद्योगिक और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और निर्यात में सुधार हुआ। यह परियोजना न केवल आर्थिक विकास का एक साधन बनी, बल्कि यह भारत की रक्षा और आपातकालीन सेवाओं को भी बेहतर बनाने में सहायक हुई। बेहतर सड़कों और हाईवे ने आपातकालीन सेवाओं, जैसे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस, को अधिक कुशल और तेज बनाया।
अटल बिहारी वाजपेयी का मानना था कि बेहतर सड़कों का निर्माण केवल आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय एकता को भी बढ़ावा देता है। उन्होंने देश के विकास में सड़कों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझा और इस दिशा में लगातार प्रयास किया। उनकी योजनाओं ने न केवल तत्काल प्रभाव डाला, बल्कि आने वाले दशकों में भी उनके दूरगामी परिणाम देखे गए।
वाजपेयी की सड़क योजनाओं का प्रभाव भारत के हर क्षेत्र में देखा जा सकता है। चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र हो, जहां सड़कें ग्रामीण विकास और रोजगार के अवसर प्रदान करती हैं, या शहरी क्षेत्र हो, जहां तेज और सुरक्षित परिवहन से व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिलता है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि विकास के लिए मजबूत बुनियादी ढांचा आवश्यक है।
उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई। सड़क निर्माण की इन योजनाओं ने न केवल भारत को मजबूत और संगठित बनाया, बल्कि इसने विदेशी निवेशकों को भी भारत की ओर आकर्षित किया। बेहतर परिवहन प्रणाली ने व्यापार को अधिक कुशल और लाभकारी बनाया, जिससे भारत की जीडीपी में भी सुधार हुआ।
अटल बिहारी वाजपेयी ने न केवल सड़कों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया, बल्कि उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि यह प्रक्रिया पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार हो। उन्होंने ऐसी नीतियों को लागू किया, जो पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देती थीं। उनकी योजनाओं ने यह सुनिश्चित किया कि सड़क निर्माण का कार्य पर्यावरणीय मानकों के तहत किया जाए और इससे प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान न पहुंचे।
श्री वाजपेयी जी की सड़क योजनाओं ने भारत को प्रगति की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। उनकी दूरदृष्टि, नीतियां और नेतृत्व आज भी भारत के बुनियादी ढांचे के विकास में एक मार्गदर्शक के रूप में देखे जाते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी को सच्चे अर्थों में “सड़क योजना के जनक” की उपाधि मिलना उनके योगदान का उचित सम्मान है। उनकी योजनाओं ने न केवल भारत को भौतिक रूप से जोड़ा, बल्कि यह देश की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति का आधार भी बनी। उनकी योजनाओं का प्रभाव आज भी महसूस किया जा सकता है। उनके द्वारा शुरू की गई योजनाओं ने आधुनिक भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। वाजपेयी ने यह साबित किया कि जब नेतृत्व दूरदर्शी और ईमानदार हो, तो देश को प्रगति के मार्ग पर ले जाना संभव है। उनके योगदान को भारत कभी नहीं भूलेगा और उनके द्वारा बनाई गई सड़कें उनके विजन और कड़ी मेहनत की गवाही देती रहेंगी।
-प्रस्तुति
अशोक सैनी,
जिलाध्यक्ष, भाजपा हिसार।
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