Haryana CM Saini took action on MNREGA fraud, suspended 5 employees including ABPO
हरियाणा के कैथल जिले में मनरेगा फर्जीवाड़े पर सीएम नायब सैनी का एक्शन
हरियाणा से बड़ी खबर सामने या रही है, मिली जानकारी के अनुसार हरियाणा के CM नायब सिंह सैनी ने मनरेगा योजना में फर्जीवाड़ा मामले में बड़ा एक्शन लिया है। मुख्यमंत्री ने मनरेगा स्कीम में फर्जी वाले को लेकर पंचायत विभाग की एबीपीओ सहित पांच पांच को तुरंत प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री के इस एक्शन से भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है।
क्या है पूरा मामला…………
मिली जानकारी के अनुसार, विकास एवं पंचायत विभाग के आयुक्त एवं सचिव के माध्यम से एक्शन टेकन रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर पेश करने को कहा है। सीवन खंड के दो गांव ककराला इनायत और ककहेड़ी में मनरेगा योजना के तहत हुए कार्यों में अनियमितता पाई गई थी।
जांच में सामने आया है कि गांव ककहेड़ी में विदेश में रह रहे लोगों के जाब कार्ड बनाए गए। यहां तक की रजिस्टर में उनकी फर्जी तरीके से हाजिरी लगाकर रुपये हड़पे गए।
जानकारी के मुताबिक, इसके चलते गांव में तैनात मनरेगा के तीन मेट रणधीर सिंह, अनुज और सतपाल को बर्खास्त किया जा चुका है। इन मेटों के काम की निगरानी की जिम्मेदारी पंचायत विभाग के ABPO की होती है।
मिली जानकारी के मुताबिक CM सैनी ने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी कार्यालय सीवन की ABPO प्रियंका शर्मा और चार जूनियर इंजीनियरों (JE) को तुरंत प्रभाव से उनके वर्तमान कार्यभार से मुक्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उच्चाधिकारियों को जांच कर अनियमितताएं पाए जाने पर नियमानुसार कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
4 JE भी कार्यमुक्त……………..
मिली जानकारी के अनुसार, इसी तरह सिंचाई विभाग में सरस्वती डिविजन- तीन के JE सोनू, शुभम धीमान, सलिंद्र कुमार व मुनीष कुमार के कार्यों में अनियमितता की आशंका है। XEN दिग्विजय शर्मा ने स्पष्टीकरण मांगा था।
जानकारी के मुताबिक, सोमवार तक स्पष्टीकरण देना था, लेकिन मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को संज्ञान लेते हुए ABPO प्रियंका शर्मा और चारों JE को वर्तमान कार्यभार से मुक्त करने के आदेश पारित कर दिए हैं।इसके बाद चारों JE को विभाग ने रिलीव कर दिया है। उन्हें निदेशालय व मुख्यालय पर रिपोर्ट करनी होगी। मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुशील कुमार ने ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक को भेजी गई रिपोर्ट में बताया है कि एक मामले में 11 लाख 91 हजार 400 रुपये और दूसरे में 17 लाख 90 हजार रुपये की गड़बड़ी के आरोप थे। 6 IAS अफसरों के नाम मिली जानकारी के अनुसार, वहीं, एक और मामले में मनरेगा में करोड़ों के घोटाले में छह IAS अफसरों के नाम भी उछले थे, लेकिन विजिलेंस की एफआईआर में इन अधिकारियों को आरोपित नहीं बनाया गया था। विजिलेंस जांच में पाया गया था कि छह आइएएस अफसरों के हाथों करीब 3400 लाख रुपये का फंड जारी किया गया था।
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