Haryana politics news today, Kumari Selja statement
सैलजा ने कहा- जब तक दोषियों को सख्त सजा नहीं, तब तक पारदर्शी व्यवस्था लागू नहीं
Haryana Politics News: अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा में भाजपा सरकार के कार्यकाल में परीक्षाओं की विश्वसनीयता पर लगातार प्रश्नचिह्न लगते जा रहे हैं सीएसआईआर -यूजीसी नेट जैसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय परीक्षा का प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले सामने आ जाना केवल एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की गंभीर विफलता को दर्शाता है। यह उन लाखों मेहनती युवाओं के साथ अन्याय है, जो ईमानदारी से पढ़ाई कर अपने भविष्य को संवारने का सपना देखते हैं। जब तक दोषियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी और पारदर्शी व्यवस्था लागू नहीं होगी, तब तक युवाओं का भरोसा बहाल नहीं हो सकता।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि परीक्षा से पूर्व प्रश्नपत्र लीक होने, अभ्यर्थियों से लाखों रुपये वसूले जाने और संगठित गिरोह के सक्रिय होने की खबरें सामने आईं, लेकिन इसके बावजूद सरकार की निगरानी व्यवस्था पूरी तरह नाकाम रही। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि बार-बार ऐसी घटनाएं होने के बाद भी न तो दोषियों पर समय रहते सख्त कार्रवाई हुई और न ही परीक्षा प्रणाली को सुरक्षित बनाने के ठोस कदम उठाए गए। कांग्रेस पार्टी का स्पष्ट मत है कि सरकार को इस पूरे प्रकरण पर जवाबदेही तय करनी होगी। यह स्पष्ट किया जाए कि प्रश्न पत्र कैसे लीक हुआ, इसके पीछे कौन-कौन लोग जिम्मेदार हैं और बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं को रोकने में सरकार क्यों असफल रही। जब तक दोषियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी और पारदर्शी व्यवस्था लागू नहीं होगी, तब तक युवाओं का भरोसा बहाल नहीं हो सकता।
अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण को लेकर आवाज उठा रही है कांग्रेस
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने अरावली पर्वत श्रृंखला के संरक्षण को लेकर हमेशा आवाज़ उठाई है। पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी समय-समय पर इस विषय पर गहरी चिंता व्यक्त करती रही हैं।
सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि अरावली केवल एक पर्वत श्रृंखला नहीं, बल्कि राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली सहित पूरे क्षेत्र के लिए ग्रीन लंग्स का काम करती है। इसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ का सीधा असर इंसानों, वन्यजीवों और पूरे पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ता है। प्रकृति का संतुलन अत्यंत नाज़ुक होता है और एक बार इसके बिगड़ने पर इसकी भरपाई करना लगभग असंभव हो जाता है। यही कारण है कि आज सिविल सोसाइटी, पर्यावरणविद और आम नागरिक इस मुद्दे पर चिंतित हैं और अरावली को बचाने का जन आंदोलन लगातार मजबूत हो रहा है।