Koth kalan Math King jatai nath, Shukrainath left after seven years
सात साल बाद बाबा शुक्राईनाथ को झटके पे झटका, अदालत ने स्टे याचिका खारिज, जताई नाथ बैठे गद्दी पर
कोथ कलां मठ के महंत बाबा शुक्राईनाथ पिछले सात सालो से विवादों में रहे हैं, लेकिन सात साल बाद उन्हें डबल झटका लगा है, एक तरफ अदालत ने उनकी स्टे याचिका को खारिज कर दिया, दूसरी तरफ बोहर मठ की तरफ से उनको बाबा काला पीर मठ कोथ कलां की गद्दी से हटा दिया गया है। इसको लेकर गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है। बोहर रोहतक स्थित मठ की तरफ से शुक्राईनाथ को कोथ कलां के मठ से हटाकर उनकी जगह जताई नाथ को बैठा दिया है।
बाबा कालापीर मठ कोथ कलां के पूर्व महंत की मौत के बाद गद्दी को लेकर पिछले सात सालों से विवाद चला आ रहा था। इसको लेकर कई बार गांव में तनाव की स्थिति बनी तो कई बार पुलिस प्रषासन को भी पसीना बहना पड़ा था। लोगों का मानना है कि कोथ कलां मठ के तत्कालीन महंत शुक्राईनाथ पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का हाथ है और उन्हें यहां से हटाना नामुकीन है। लेकिन गांव कोथ कलां के लोगों को गांव ही नहीं बल्कि बारह खाप के लोगों का साथ मिला और इसके लिए उन्होंने सात साल तक एक जुट होकर लंबी लड़ाई लड़ी।

बाबा शुक्राईनाथ ने इस मसले को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत में गांव 31 लोगों को पार्टी बनाकर 16 मई को अदालत में याचिका दायर कर स्टे मांगा गया था। इस याचिका में कहा गया कि ये लोग डेरे का माहौल खराब कर रहे हैं और उन्हें डेरे में पूजा के अलावा किसी भी प्रकार की गतिविधी में षामिल होने पर रोक लगाई जाए। ग्रामीणों की तरफ से एडवोकेट विकास चहल व विजयवीर ने अदालत में गांव का पक्ष मजबूती के साथ रखा और बाबा शुक्राईनाथ की याचिका दो तारीखों में ही अदालत ने खारिज करवा दिया।

इन लोगों को डेरे में घुसने पर रोक की मांग कर चुके हैं बाबा
बारह खाप के पूर्व प्रधान सुरेष कोथ, पूर्व सरपंच अनिल, सतबीर नंबदरदार, आनंद, सतपाल इत्यादि गांव के मौजिज लोगों को पार्टी बनाकर उनके डेरे में आने पर पाबंधी लगाने के लिए स्टे मांगा गया था, लेकिन एडवोकेट विकास चहल व विजयवीर चहल ने बाबा के विरूध अपना पक्ष मजबूती से रखते हुए इसको आमजन की भावनाओं से खिलवाड़ करार देते हुए अदालत से मांग करते हुए कहा कि बाबा शुक्राईनाथ की याचिका जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली है और तथ्यहीन है।
इससे आम लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है। क्योंकि भगवान के दरबार या मंदिर मठ में जाने का सबको बराबर का अधिकार है, ऐसे में किसी के अधिकारो से हनन हो सकता है। प्रतिवादी पक्ष के वकीलों की दलील सुनने के बाद अदालत ने बाबा शुक्राईनाथ षुक्राईनाथ की स्टे याचिका को 26 मई को खारिज कर दिया। लेकिन इस पर प्रतिवादी पक्ष की तरफ से ग्राम पंचायत की तरफ से पार्टी बनाने की याचिका लगाई गई तो अदालत ने इस मामले की सुनवाई 4 अगस्त तय कर दी।
अस्थल बोहर मठ मैं मठाधीशों की एक मीटिंग हुई जिसमें निर्णय लिया गया कि बाबा कालापीर मठ कोथ कलां की गद्दी से शुक्राई नाथ को हटाकर उनकी जगह जताई नाथ को कोथ कलां मठ का मठाधीश बनाया गया है। जब नए महंत गांव में पहुंचे तो ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया और उन्हें चादर ओढ़ाकर उनका सम्मान किया गया।
महंत बोले- मैंने खुद ही दिया इस्तीफा
महंत शुक्राई नाथ योगी ने बताया कि मुझे हटाया नहीं गया है। मैंने गांव में खून खराबा न हो इसलिए लोगों की आपसी व्यक्तिगत उग्र कर देने वाली टिप्पणियों से आहत होकर खुद ही इस्तीफा दिया। नाथ संप्रदाय ने मुझे मठ छोड़ने के लिए नहीं कहा। नया महंत मेरा ही गुरु भाई है। जनता से अपील है कि वह शांति बनाए रखें। मैंने सोच समझकर संयम से फैसला लिया है।
वर्ष 2018 में बैठे थे डेरे की गद्दी पर
महंत शुक्राई नाथ योगी 14 मार्च 2018 को सातों पीरों की मौजूदगी में डेरे की गद्दी पर बैठे थे। उसके बाद शाम को ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर दिया था जिसमें तत्कालीन डीएसपी नरेंद्र सिंह सहित छह पुलिसकर्मी भी घायल हो गए थे। दूसरा पक्ष गाड़ी पर महंत भजनाई नाथ को बैठना चाहता था। सातों पीरों के सामने महंत भजनाई ने कहा था कि उन्हें गद्दी पर नहीं बैठाया जाता तो शुक्राई नाथ को छोड़कर किसी को बैठा दिया जाए। उसी के बाद से ये विवाद चला आ रहा था।