Sampat Singh ki 16 sal bad INLD Ghar wapasi
हाल ही में कांग्रेस को छोड़ने वाले 6 बार हरियाणा विधानसभा पहुंचे प्रोफेसर संपत सिंह ने गुरु पूर्णिमा के दिन चंडीगढ़ अभय सिंह चौटाला की मौजूदगी में इनेलो ( INLD ) का दामन थाम लिया। 16 साल बाद घर वापसी करने के बाद पूर्व मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह कांग्रेस पर हमलावर हो गए। ( Haryana politics news today )
Sampat Singh ने कहा कि हरियाणा के जनता ने कांग्रेस के 37 विधायकों को सुनकर विधानसभा भेजने का काम किया था ताकि वह उनकी समस्याओं को उठा सकें। लेकिन आज कांग्रेस के विधायक जनता को गुमराह करके उनके वोट लेकर चुपचाप अपने घरों में बैठे हुए हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर भी निशाना साधा। इनेलो परिवार में दोबारा से शामिल होने पर उन्हें पार्टी राष्ट्रीय संरक्षक के पद की जिम्मेवारी दी गई है।
प्रोफेसर संपत सिंह ने कहा कि हिसार से गुजरने वाली भाखड़ा ब्रांच नहर सालों साल से चलती आ रही है लेकिन भाजपा के शासन में यह नहर 40-40 दिनों तक बंद रहती है। नहर के बंद होने से शहर के लोग पीने के पानी को तरसते हैं तो वहीं ग्रामीण क्षेत्र के किसान मजदूर अपने खेतों में सिंचाई करने के लिए नहर के पानी का इंतजार करते रहते हैं। लेकिन कांग्रेस का एक भी विधायक और नेता जनता के इस मुद्दे को नहीं उठा रहा। किसानों की फसल बाढ़ के पानी में डूब चुकी है और वो अगली फसल की बिजाई करने के लिए पानी की निकासी को लेकर दर-दर भटक रहे हैं लेकिन ना ही तो सरकार उनकी कोई सुनवाई कर रही है और अधिकारी गूंगे बहरे होकर उनकी बातों को अनसुना कर रहे हैं।
संपत सिंहन कहा कि जिन किसानों की फसल बाढ़की चपेटआने से बच गई थी उन किसानों को आज मंडी में अपनी फसल का उचित भाव नहीं दिया जा रहा। किसानों के मुद्दों पर इनेलो पार्टी आज भी जिला छतरपुर विरोध प्रदर्शन करके संघर्ष कर रही है। लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी का कोई भी नेता या विधायक आवाज उठाता हुआ दिखाई नहीं दे रहा।
Sampat Singh ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के विधायक और नेता सेल्फी लेने के लिए पानी में उतरते तो हैं लेकिन उसका उचित प्रबंध करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे और ना ही मजबूर किसानों की आवाज को उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के विधायक केवल सेल्फी विधायक बनकर रह गए हैं और वह विपक्ष की कोई भूमिका अदा नहीं कर रहे। क्या प्रदेश की जनता ने उन्हें जनता के आम मुद्दों की सेल्फी लेकर सोशल मीडिया से पैसे कमाने के लिए विधायक चुना था। जबकि दो विधायकों वाले इनेलो पार्टी किसान मजदूर और गरीबों के लोगों की आवाज को बुलंद करने में लगी हुई है।
2009 से 2025 तक कांग्रेस के बड़े नेताओं के मुंह ताकने वाले प्रोफेसर संपत सिंह एक बार फिर अपनी पुरानी पार्टी में शामिल हो गए हैं। इनेलो पार्टी में शामिल होने के लिए चंडीगढ़ स्थित पार्टी कार्यालय में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें इनेलो सुप्रीमो अभय सिंह चौटाला पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल माजरा, राष्ट्रीय प्रवक्ता उमेद सिंह लोहान सहित अनेक गणमान्य नेता मौजूद रहे। इस दौरान पूर्व मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह के बेटे गौरव संपत सिंह ने भी कांग्रेस छोड़कर इंडियन नेशनल लोकदल का दामन थाम लिया है।
प्रोफेसर संपत सिंह हिसार के जाट कॉलेज में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर हुआ करते थे। सन 1977 में उन्होंने स्वर्गीय उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल की नीतियों पर विश्वास करते हुए उनके साथ राजनीति का सफर शुरू किया था। प्रोफेसर संपत सिंह ने कहा कि ताऊ देवीलाल से उन्हें जीवन में अनेक उतार चढ़ाव देखने को मिले और सीखने को भी मिला साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला के साथ किए गए कामों के अनुभव से उन्होंने अनेकों बार सीखने को मिला है। ताऊ देवीलाल द्वारा बनाई गई पार्टी की नीतियां किसान मजदूर और मध्यम वर्ग के व्यापारियों के उत्थान के लिए हैं। जबकि कांग्रेस और भाजपा की नीतियां इन वर्गों को दबाने की रही है।
प्रोफेसर संपत सिंह ने कहा कि पिछले काफी समय से वह अपमान का घूंट पीकर चुपचाप बैठे हुए थे। लेकिन अब कांग्रेस के पापों का घड़ा भर चुका है और इनेलो पार्टी धरातल पर उतरकर वह काम करेगी जो कांग्रेस के 37 विधायक भी नहीं कर पा रहे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा में केवल पिता पुत्र की ही पार्टी बंद कर रह गई है दूसरे नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है। आज पार्टी में कहीं भी सीनियर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, वीरेंद्र सिंह सहित दूसरे नेताओं को भी अनदेखी का शिकार होना पड़ रहा है। कांग्रेस में अगर कोई नेता पार्टी के ही दूसरे नेता से मिल लेता है तो वह दूसरा गुट बन जाता है और पिता पुत्र का दबदबा इतना है कि उन्हें पार्टी को कमजोर करने का मौका मिल जाता है।
Sampat Singh ने कहा कि हरियाणा में जो हाल आज कांग्रेस का है उसके जिम्मेवार केवल पिता पुत्र ही हैं। अगर कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने एकजुट होकर एक मंच पर एक साथ काम किया होता तो कांग्रेस के 37 विधायक नहीं बल्कि 87 विधायक होने चाहिए थे। लेकिन कांग्रेस के हरियाणा में बड़े नेता यह नहीं चाहते थे कि हरियाणा में कांग्रेस एकजुट हो और कोई बड़ा चेहरा उभर कर उन्हें पटकनी ना दे दे। वह यह चाहते थे कि कांग्रेस पार्टी हरियाणा में मात्र 40 के आसपास सीट जीते और बाकी निर्दलीयों के सहारे हरियाणा में सरकार चलाई जाए ताकि पिता पुत्र का दबदबा बना रहे। लेकिन चुनाव परिणाम इसके बिलकुल विपरीत रहे और कांग्रेस को जनता ने 37 सीटों पर ही रख दिया।
प्रोफेसर संपत सिंह के कांग्रेस छोड़ने और इनेलो में 16 साल बाद घर वापसी के मुद्दे पर बोलते हुए नलवा विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी रहे अनिल मान ने कहा कि 16 साल पहले सन 2009 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रोफेसर संपत सिंह पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला सहित चौटाला परिवार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कांग्रेस में शामिल हुए थे।
अनिल मान ने कहा कि संपत सिंह ने अपने त्यागपत्र में वह फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की बात कर रहे थे वह कांग्रेस के सर्वे में उस सीट से हार रहे थे। इतने सीनियर नेता को हार का स्वाद न चकना पड़े इसके लिए पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उनका मान सम्मान रखते हुए उन्हें नलवा से टिकट दिया और विधायक चुने गए। जनता ने प्रोफेसर संपत सिंह को जिस मुकाम पर पहुंचाया और वह अपने निजी फायदे के लिए पहले इनेलो पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे और अब अपने बेटे को राजनीति में प्रमोट करने के लिए कांग्रेस को छोड़ दौबारा से इनेलो में शामिल हुए हैं। वो कांग्रेस पार्टी पर गलत आरोप लगा रहे हैं।
कांग्रेस नेता अनिल मान ने कहा कि देश प्रदेश में पिछले 11 सालों से भाजपा की सरकार है। इनेलो के नेता भाजपा की भी टीम है यह सब खुद इनेलो नेता कर रहे हैं। कांग्रेस और इनेलो आज विपक्ष में है और इन दोनों पार्टियों के निशाने पर भाजपा सरकार की गलत नीतियों होनी चाहिए लेकिन इनेलो के नेताओं के मुंह पर आज भी कांग्रेस पार्टी का नाम इस बात को साबित करता है कि प्रदेश में कांग्रेस का जन आधार लगातार बढ़ रहा है और इनेलो पार्टी भाजपा के लिए काम कर रही है। अगर उन्हें सच में जनता के मुद्दे पर राजनीति करनी होती तो वह है कांग्रेस और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हमेशा अपने निशाने पर नहीं रखते।