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Siswal Dham श्रद्धा और रहस्य से भरपूर, आदमपुर का महाभारत कालीन सीसवाल धाम शिव मंदिर

Siswal Dham Shiv Mandir History 750 years old

हरभगवान भारद्वाज: हमारे देश में ऐसे शिवालय भी है, जिनके पीछे कई रहस्य छिपे हैं। आदमपुर के गांव सीसवाल में ऐसा ही एक शिव मंदिर है जिसका इतिहास महाभारत काल ( Siswal Dham Shiv Mandir History 750 years old )  से जुड़ा हुआ है। आदमपुर का करीब 750 वर्ष प्राचीन ऐतिहासिक सीसवाल धाम अब जल्द ही गुजरात के कोटेश्वर महादेव मंदिर के स्वरूप में नजर आएगा। पिछले करीब चार साल से करोड़ों रुपए की लागत से शिव मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। जीर्णोद्धार के बाद सीसवाल धाम मंदिर देशभर के लिए आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र स्थापित होगा।

 

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है सीसवाल का शिवालय मंदिर

श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र सीसवाल धाम ( Siswal Dham ) महाभारत काल में पांडवों द्वारा स्थापित प्राचीन ऐतिहासिक शिव मंदिर है जो समाज के लिए एक धरोहर है। मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ ही आसपास की जगह का भी सौंदर्याकरण करवाया जाएगा। मंदिर की भूमि पर धर्मशाला, गर्भगृह, सभाकक्ष, यज्ञशाला, पार्क आदि बनाए जाएंगे। कमेटी का प्रयास है कि जल्द ही मंदिर नए स्वरूप में नजर आए।

 

Siswal Dham शिव मंदिर कमेटी के प्रधान घीसाराम जैन ने बताया कि जीर्णोद्धार के लिए अयोध्या राम मंदिर के आर्किटेक्ट व कारीगरों द्वारा नक्शा तैयार किया गया है। जीर्णोद्धार के बाद मंदिर परिसर का स्वरूप बदल जाएगा। शिव मंदिर के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों को भी मंदिर में स्थापित किया जाएगा। इसके अलावा सुंदर-सुंदर झांकियां भी सजाई जाएगी। भीड़ को व्यवस्थित करने के लिए घुमावदार बेरीकेट्स लगाए जाएंगे। मंदिर परिसर में कितनी भी भीड़ होने पर श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर सकेंगे।

पांडवों ने स्थापित किया शिवलिंग

Siswal Dham श्रद्धा और रहस्य से भरपूर, आदमपुर का 750 साल पुराना सीसवाल धाम शिव मंदिर
सीसवाल धाम शिव मंदिर में शिवलिंग।

प्राचीन ऐतिहासिक Siswal Dham शिव मंदिर में शिवलिंग की स्थापना पांडवों ने महाभारत काल के दौरान की थी। मंदिर का ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक महत्व इस तथ्य से साफ हो जाता है कि पुरातत्व विभाग के पास इस मंदिर का पिछले करीब 750 सालों का रिकार्ड उपलब्ध है। बताया जाता है कि इससे पूर्व का रिकार्ड स्वतंत्रता आंदोलन में जल गया था। हिसार से उत्तर-पश्चिम दिशा में सिंधु घाटी की सभ्यता व मोहन जोदड़ो हड़प्पा कालीन सभ्यता की समकालीन प्राचीन सीसवालिय सभ्यता वर्तमान गांव सीसवाल की जगह पनपी। सीसवालिय सभ्यता के कारण इस गांव का नाम सीसवाल पड़ा जो सरस्वती नदी की सहायक नदी दृश्दवंती के किनारे बसा हुआ था।

 

भारतीय पुरातत्व विभाग की खुदाई से इस सभ्यता का पता चला। प्रसिद्ध इतिहासकार डा. के. सी. यादव के शोध पत्रों में Siswal Dham का विस्तृत विवरण मिलता है। भिवानी के पास नौरंगाबाद में सैन्धव सभ्यता पनपी। सीसवालिय लोगों की संपन्नता को देखते हुए सैन्धवों ने सीसवालिय लोगों पर आक्रमण कर दिया। हालांकि इस युद्ध में हार-जीत का वर्णन नहीं मिलता लेकिन इस युद्ध के बाद दोनों सभ्यताएं आत्मसात होकर एक हो गई तथा इसके सीसवालिय-सैन्धव सभ्यता कहा जाने लगा।

 

सीसवाल कुरुक्षेत्र-हस्तिनापुर जितना पुराना है। करीब पांच हजार 150 साल पहले महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव सीसवालिय वनों में भी रहे तथा मां कुंती शिव भक्त थी। अपने कुछ समय के प्रवास के दौरान माता कुंती के आदेश पर पांडवों ने Siswal Dham शिवलिंग की स्थापना की जो वर्तमान में शिव मंदिर में मौजूद है।

 

Siswal Dham श्रद्धा और रहस्य से भरपूर, आदमपुर का 750 साल पुराना सीसवाल धाम शिव मंदिर
सीसवाल धाम शिव मंदिर।

बताया जाता है कि Siswal Dham मंदिर के स्थान पर पहले एक फ्रास का पेड़ हुआ करता था जहां एक संत तपस्या करते थे। तपस्यारत संत को एक बार स्वप्न में पेड़ के नीचे शिवलिंग दबा हुआ दिखाई दिया। संत ने ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी। बाद में खुदाई करने पर 9-10 फीट लंबा शिवलिंग मिला जो पांडवों द्वारा स्थापित किया गया था। यही शिवलिंग Siswal Dham मंदिर की नियति का आधार बना। इसे एक चमत्कार व दैवयोग ही कहा जाएगा कि जब मंदिर निर्माण के लिए सामग्री को लेकर चिंता की गई तो आकाशवाणी हुई कि निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाए, सामग्री उसी वृक्ष के नीचे से मिल जाएगी। Siswal Dham मंदिर का निर्माण वृक्ष के नीचे से मिली तमाम आवश्यक सामग्री के साथ निर्वाध गति से हुआ। शिवालय में अब तक सुरक्षित पड़ी ईंट भी उसी वृक्ष के नीचे से निकली हुई बताई जाती है।

 

देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है सीसवाल धामः जैन
Siswal Dham श्रद्धा और रहस्य से भरपूर, आदमपुर का 750 साल पुराना सीसवाल धाम शिव मंदिर
सीसवाल धाम शिव मंदिर में शिवरात्रि पूजा।

Siswal Dham मंदिर कमेटी के प्रधान घीसाराम जैन का दावा है कि यह देश के सबसे प्राचीन चार मंदिरों में से एक है। अपने दावे का आधार वे केंद्रीय पुरातत्व विभाग से मिली सूचना को बताते हैं। यह सूचना मंदिर की प्राचीनता व ऐतिहासिकता से जुड़ी बताई गई है। शिवलिंग की लंबाई करीब चार फीट है और अंदर भी इतनी ही होने का अनुमान है। ऐसे प्राकृतिक एवं असाधारण शिवलिंग कम ही देखने को मिलते हैं।

Siswal Dham शिवलिंग के चारों ओर की शब्दावली एक विशेष भाषा में लिखी गई है, जो बहुत ही बारिक है और इसे सुक्ष्म आंखों से पढ़ना नामुमकिन है। मंदिर के निर्माण के लिए खुदाई से ईंटें अपने आप में असाधारण हैं। जिनकी लंबाई 1.25 फीट व चौड़ाई 0.75 फीट है। इन तमाम विशिष्टताओं के चलते धार्मिक जगत में अपनी खास पहचान बना चुके इस मंदिर से जुड़े इतिहास को लिपिबद्ध करवाने की मांग शिव भक्त कई बार कर चुके हैं।

 

जैन ने बताया कि अगर इस तरफ पुरात्तव विभाग सकारात्मक कदम उठाए तो Siswal Dham प्राचीन शिव नगरी का आध्यात्मिक स्वरूप शिव भक्तों के सामने आ सकेगा तथा साथ ही यह शिवालय धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से भी सामने आ सकता है। मेला संयोजक राकेश शर्मा ने बताया कि सीसवाल का यह शिवालय अपनी कई विशेषताओं और अद्भूत वातावरण के चलते देशभर में  Siswal Dham अपनी विशिष्ट पहचान रखता है। भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से असीम सुख की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि यहां मन और लगन से पूजा करने पर मनोकामना पूरी होती है। शिवरात्रि के दिन विशेष तरीके पूजा करने से अलग-अलग कामनाएं पूरी होती है। जिसके लिए सारी जानकारी मंदिर में उपलब्ध है।

अर्धनारीश्वर रूप में बाबा का श्रृंगार

महाशिवरात्रि के मौके गांव सीसवाल स्थित Siswal Dham प्राचीन शिवालय धाम में शिवलिंग का अर्धनारीश्वर रूप में श्रृंगार किया जाता है। मंदिर कमेटी प्रधान घीसाराम जैन ने बताया कि बाबा का भव्य श्रृंगार इंदौर व उज्जैन से आये श्रद्धालुओं द्वारा अर्धनारीश्वर रूप में किया जाता है। बाबा के श्रृंगार के लिए उज्जैन व इंदौर के भगत मुख्य रूप से पहुंचते हैं।

 

सुबह साढ़े 3 बजे आरती के साथ शुरू हुआ मेला

 Siswal Dham मंदिर कमेटी प्रधान घीसाराम जैन ने बताया कि बुधवार अलसुबह करीब साढ़े 3 बजे बाबा की भव्य आरती की जायेगी एवं उसके बाद भोग लगाया गया। आरती के साथ ही बाबा के भव्य मेले का शुभारंभ हुआ। उन्होंने बताया कि मंदिर में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान सहित अन्य राज्यों के हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक करने आते हैं।

 

हरभगवान भारद्वाज की Siswal Dham पर स्पेशल रिपोर्ट

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