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नारनौंद में बच्चों से भरी स्कूल बस में लगी आग : प्राइवेट स्कूल में मची अफरातफरी – School Bus Fire

Aadarsh School Bus Fire in Hisar Narnaund News

Narnaund News : हिसार जिले के नारनौंद क्षेत्र के एक प्राइवेट स्कूल बस में अज्ञात परिस्थितियों में आग ( School Bus Fire ) लग गई। हादसा उसे समय हुआ जब स्कूल की छुट्टी होने के बाद बच्चों को बस में बैठाकर बस चालक में बस को स्टार्ट किया करते ही आग लग गई। बच्चों से भरी स्कूल बस में आग लगने से स्कूल में अफरातफरी मच गई।

 

आदर्श स्कूल लोहारी राघो की स्कूल बस में लगी आग 

मिली जानकारी के मुताबिक बृहस्पतिवार की दोपहर बाद हिसार जिले के गांव लोहारी राघो स्थित आदर्श सीनियर सेकेंडरी स्कूल की छुट्टी अन्य दिनों की तरह ही अपने समय पर हुई थी। स्कूली छात्र घर जाने के लिए जैसे ही अपनी निर्धारित बस में सवार हुए और ड्राइवर ने सभी बच्चों के आने के बाद जैसे ही बस को स्टार्ट किया तो अचानक से बस में आग लगा गई।

 

आग इतनी तेजी से फैली की ड्राइवर को कुछ समझने का मौका तक नहीं दिया। Aadarsh senior secondary School Lohari Ragho की स्कूल बस में लगी आग की वजह से चारों तरफ धुंआ ही धुआं उठता दिखाई देने लगा। स्कूल में आग लगी देख गांव के लोग भी भाग कर स्कूल में पहुंचे और आग पर काबू पाने में जुट गए। लेकिन अपने स्कूल बस को पूरी तरह से अपने आगोश में ले लिया था। जिस पर काबू पाना स्कूल स्टाफ और ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा रहा था।

 

आदर्श सीनियर सेकेंडरी स्कूल लोहारी राघो की स्कूल बस में आग लगने की सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी मौके पर पहुंची और करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। जब तक आग पर काबू पाया गया, तब तक पूरी बस जलकर राख हो चुकी थी। 

 

समय रहते बस से नीचे उतारे बच्चे , थोड़ी सी चूक ले सकती थी दर्जनों बच्चों की जान 

गनीमत ये रही कि बस को स्टार्ट करते ही जब बस चालक ने इंजन से धुआं उठता हुआ दिखाई दिया तब उसने सुझबुझ का परिचय देते हुए सभी बच्चों को बस से नीचे उतार दिया। लेकिन स्कूली बच्चों की बस में आग लगने से हुए हादसे के बाद सभी बच्चे डरे हुए हैं। साथ ही अभिभावक भी चिंतित हैं। क्योंकि अगर समय रहते बच्चों को बस से नीचे नहीं उतारा जाता तो शायद बड़ा हादसा हो सकता था।

 

शॉर्ट सर्किट से लगी स्कूल बस में आग – स्कूल संचलक

स्कूल संचालक नवीन ने बताया कि स्कूल की छुट्टी होने के बाद जब बच्चे अपने घर जाने के लिए बस में बैठे तो बस तलाक ने जैसे ही बस को स्टार्ट किया तो बस में शॉर्ट सर्किट हो गया। जिसकी वजह से बस में आग लग गई। लेकिन बस चालक के अनुभव और सुझबुझ से बड़ा हादसा होने से चल गया। ड्राइवर ने अध्यापकों की मदद से तुरंत ही बस में बैठे बच्चों को सुरक्षित नीचे उतार दिया।

बड़ा हादसा होने पर टूटती है प्रशासन की नींद 

नारनौंद में बच्चों से भरी स्कूल बस में लगी आग : प्राइवेट स्कूल में मची अफरातफरी
शहरी क्षेत्रों में ऑटो में ठूस ठूस कर भरे स्कूली छात्र व दूसरे ऑटो में खड़े होकर स्कूल जाते हुए छात्र।

गौरतलब है कि स्कूल बसों में काफी बार सुरक्षा मानकों की कमी देखी गई है। जब कोई बड़ा हादसा होता है तो प्रशासन हादसे को लोगों के दिलों से निकालने के लिए आग पर मिट्टी डालने के लिए काम करता है, लेकिन चंद दिनों के बाद फिर से बच्चों को राम भरोसे छोड़ दिया जाता है। आजकल ग्रामीण क्षेत्र के निजी स्कूलों में ही नहीं प्रशासन की नाक के नीचे शहरी क्षेत्र में भी सरेआम सरकारी आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

 

अक्सर देखने में आता है कि बच्चों को स्कूल बसों में ठूस ठूस कर भरा जाता है। साथ ही शहरी क्षेत्रों के स्कूलों में तो छोटे-छोटे मासूम बच्चों को ऑटो में ले जाया जाता है जो कि अपने पूरे मानकों पर भी खरे नहीं है। बच्चों के साथ कोई हादसा होने पर प्रशासन चार दिनों तक एक्शन में नजर आता है लेकिन उसके बाद फिर से स्कूलों की कंडम बसें और अन्य वाहन सड़कों पर खुलेआम दौड़ते हुए नजर आते हैं।

 

प्राइवेट स्कूलों की अधिकांश स्कूल बसें ट्रांसपोर्ट विभाग के नियमों के मुताबिक नहीं तो अपनी फिटनेस साबित कर पाती हैं और ना ही उनके कागजात पूरे मिलते हैं। सरकार प्रशासन और निजी स्कूल संचालकों की लापरवाही कभी भी बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती है। ग्रामीण क्षेत्र के निजी स्कूलों में तो बच्चों को तूड़े की तरह भरकर स्कूल तक ले जाया जाता है।

 

लेकिन अभिभावकों से निजी स्कूल संचालक ट्रांसपोर्ट सहित अन्य सुविधाओं के नाम पर मोटी फीस वसूल करते हैं। दाखिले के समय तो अभिभावकों को दिखाया जाता है कि उनके बच्चों को स्कूल में इतनी बड़ी-बड़ी सुविधा ना मात्र फीस में ही उपलब्ध करवाई जाती हैं। अगर स्कूल बसों की बात करें तो दाखिले के समय एक-एक रूट पर चलाई जाती है ताकि छात्र आराम से सीट पर बैठकर अपने घर से स्कूल और स्कूल से घर तक आराम से सफर करें। लेकिन दाखिला बंद होने के बाद फिर से वही खेल शुरू हो जाता है। ताकि स्कूल संचालक अर्जित कर सकें।

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