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फरार भ्रष्ट Tehsildar Manjeet Malik पर सरकार मेहरबान, तोशाम तबादला, विजीलेंस ने गिरफ्तारी पर रखा है 20 हजार का ईनाम

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भ्रष्टाचार के आरोप में फरार Tehsildar Manjeet Malik का तोशाम तबादला

Abtak Haryana News : हरियाणा सरकार एक तरफ तो भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है दूसरी तरफ महीनों बीत जाने के बावजूद भी भ्रष्टाचार के मामले में फंसे Tehsildar Manjeet Malik को निलंबित नहीं किया गया बल्कि 4 महीने बाद उसका ट्रांसफर गुहला-चीका से तोशाम कर दिया। जबकि अंबाला बिजनेस चार महीने से फरार चल रहे तहसीलदार को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है और तहसीलदार 4 महीने से फरार चल रहा है। इसी को लेकर अंबाला बिजनेस ने तहसीलदार पर 20 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया हुआ है। स्थानीय लोगों के मन में जो विचार चल रहे हैं वह सरकार की कार्यप्रणाली देखकर स्टीक साबित होते हुए दिखाई पड़ रहे हैं।

 

 

गौरतलब है कि करीब 4 महीने पहले 18 फरवरी को विजीलैंस विभाग अम्बाला की एक टीम ने डीएसपी मुकेश जाखड़ के नेतृत्व में टीम ने चीका स्थित अमर सिटी में रहने वाले एक व्यक्ति विजय कुमार से तहसील के क्लर्क प्रदीप कुमार को 10000 रुपए रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। ( Kaithal News Today )

 

क्लर्क के बयान के आधार पर तहसीलदार मंजीत मलिक को भी आरोपी बनाया गया था। विजीलैंस द्वारा गिरफ्तार किए गए तहसीलदार का रजिस्ट्री क्लर्क जमानत पर है और इसी बीच विजीलैंस ने चालान भी पेश कर दिया है। ( Tosham News Today )

वहीं आरोपी तहसीलदार कहां है, इसका किसी को कुछ पता नहीं है, जिसके चलते कई प्रकार के कयास लगाए जा रहे हैं। एक चर्चा के अनुसार वह विदेश भाग गया है और दूसरी चर्चा यह है कि उसका एक निकट सम्बन्धी हरियाणा सचिवालय में एक वरिष्ठ अधिकारी है, जिसके दम पर वह अभी तक भूमिगत है। ( Guhla cheeka News Today )

मलिक ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए पहले सैशन व बाद में हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत भी लगाई, परंतु दोनों जगह उसकी जमानत की अर्जी खारिज हो गई थी।

अम्बाला विजीलैंस के डीएसपी मुकेश जाखड़ ने कहा कि पुलिस फरार चल रहे आरोपित को गिरफ्तार करने के लिए प्रयास कर रही है। पुलिस ने उसके छिपने के कई स्थानों पर छापामारी भी की है। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि या तो वह स्वयं सरेंडर कर देगा और या फिर पुलिस उसे जल्द गिरफ्तार कर लेगी।

 

लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है की तहसीलदार जैसे उच्च पदों पर सरकार में मौजूद मंत्रियों या किसी बड़े अधिकारी के शासन को नियुक्त किया जाता है और वह इसकी आवाज में हर महीने मोती मंथली मंत्रियों के दरबार में पहुंचाते हैं। जिसकी वजह से भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती और वह कानून के शिकंजे में फंसने से बचते रहते हैं।

 

अगर समय रहते भाजपा सरकार की पॉलिसी के तहत तहसीलदार मनजीत मलिक को निलंबित कर दिया गया होता और उसकी गिरफ्तारी हो जाती तो लोगों के अंदर कानून के प्रति और विश्वास बढ़ जाता है। लेकिन नेताओं के भाषण केवल मंचों से ही सुनने में अच्छे लगते हैं और धरातल पर उनके कार्य प्रणाली इसके बिलकुल विपरीत दिखाई पड़ती है। जिन कंधों पर कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेवारी होती है वही लोग अक्सर कानून का नाजायज फायदा उठाकर आम लोगों को तकलीफ देते हैं। दरअसल ये बात तो भ्रष्टाचार में फंसे अधिकारियों की निष्पक्ष तरीके से जांच होने के बाद ही साफ हो सकता है।  ( Abtak Haryana News Today )

खबर प्रकाशित होने के बाद सरकार ने वीरवार 3 जुलाई को आखिरकार भ्रष्ट तहसीलदार मंजीत मलिक को निलंबित कर दिया। उनका हेड क्वार्टर अंबाला गया है।

तहसीलदार मंजीत मलिक का निलंबन आर्डर।

 

Government is kind to absconding corrupt Cheeka Tehsildar Manjeet Malik, transferred to Tosham

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