Loan System India : गरीब किसान और अमीर पूंजीपति में फर्क ; कर्जदार कौन असली अपराधी?

By sunilkohar

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Gareeb kisan vs ameer punjipati loan system india

गरीब आदमी के खेत पानी में डूब गए, फसल बर्बाद हो जाने से परिवार के सामने दो वक्त की रोटी के लाले पड़ जाते हैं। कर्ज ना चुकाने के कारण वो पूरे गांव में नजर झुकाकर चलता है। लेकिन अमीन आदमी को कोई नुकसान हुए बगैर भी वो कर्ज चुकता नहीं करता और बैंक व फाईनेंस कंपनियों के मालिक उससे कर्ज वसूलने की बजाय उसका कर्ज माफ करने की राह तलाषते हैं। यही हाल आज हमारे देष में देखने को मिल रहा है। जहां पर चंद रूपयों के कर्ज के खातिर किसान मजदूर के घर को सील कर दिया जाता है, खेत नीलाम किए जा रहे हैं, लेकिन पूंजीपति या तो विदेष भाग रहे हैं या फिर उनके लाखों करोड़ों रूपए का कर्ज माफ कर लाखों करोड़ों रूपए की आर्थिक सहायता भी दी जाती है ताकि वो अपने बिजनेस को फिर से खड़ा कर सके। बात कड़वी है परंतु सत्य है। ( loan system india )

गरीब किसान कर्ज ना चुकाए तो प्रोपर्टी सील, पूंजीपतियों का कर्ज माफ

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हमारे देष में जय जवान और जय किसान का नारा केवल चुनाव के समय वोटरों को लुभाने के काम आ रहा है, धरातल पर इस नारे का मतलब उस समय खत्म हो जाता है जब भूखे प्यासे किसान मजदूर आखरी सांस तक दो वक्त की रोटी के लिए लड़ते रहते हैं। उनकी खून पसीने की कमाई पर कभी प्राकृतिक आपदा की मार आ पड़ती है तो कभी मंडी में फसल का उचित भाव ना मिलने के कारण वो अपने बच्चों को दो वक्त की रोटी के लिए तरसता देखता है। जिसकी वजह से वो चंद हजारों लाखों रूपए का कर्ज नहीं चुकता कर पाता।

बैंक व फाइनेंस कंपनियां किसान मजदूर की कोई मजबूरी नहीं समझती और उस पर लगातार कर्ज चुकाने के लिए दबाव बनाया जाता है। इस दबाव के चलते कुछ लोग सुसाइड कर लेते हैं और जो बच जाते हैं वो पूरी जिंदगी षर्म के मारे अपने बच्चों से नजरें नहीं मिला पाते। बैंक व फाइनेंस कंपनियों के सख्त कारवाई के चलते उनकी घर जमीन को नीलाम कर कर्ज की वसूली की जाती है। जिससे उसकी रही सही आस भी टूट जाती है। किसान को तो फसल बीमा करवाने के बावजूद फसल खराबे का क्लेम राशि लेने के लिए दर दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं और कभी कुछ बहाना बनाकर तो कभी कुछ बहाना बनाकर बीमा कंपनियां उसे क्लेम देने से वंचित रख रही हैं और मजबूर किसान की कोई नहीं सुन रहा।

जब किसी बिजनेस मैंन के लोन की बात होती है तो वहां पर बैंकों व फाइनेंस कंपनियों के रूल तुरंत बदल जाते हैं। बिजनेस में प्रोफिट होने के बावजूद उन्हें आर्थिक मदद करने के लिए सभी तैयार रहते हैं। अगर किसी कारणवंष उन्हें घाटा हो जाता है तो उनका लोन माफ कर दिया जाता है। साथ ही अन्य नुकसान होने पर उनके नुकसान की भरवाई बीमा कंपनियां करती हैं। जिससे उन्हें कभी घाटे की चिंता दूर दूर तक नहीं रहती।

इसके अलावा किसान के सपने उस समय चकनाचूर हो जाते है। जब चुनाव के समय जय जवान जय किसान का नारा देने वाले नेता उनकी सुध नहीं लेते और पुस्तैनी जमीन नीलाम हो जाती है। लेकिन जब यही हाल किसी बड़े आदमी के साथ होता है तो नेता ही नहीं बल्कि सरकार भी उसकी मदद करने के लिए आगे आ जाती है। उसका लोन माफ ही नहीं होता बल्कि उन्हें हजारों करोड़ों की आर्थिक मदद भी दी जाती है। उस समय ना ही तो बीमा कंपनियां से तफ्तीष करती हैं कि क्या वाक्य में इस बिजनेस में घाटा हुआ है या कोई धांधली की जा रही है।

कर्ज के बोझ तले दबा किसान मजदूर आदमी फटे पुराने कपड़े पहनकर गुजारा करता है, लेकिन पूंजीपति लोग कर्ज के बोझ में भी महंगी महंगी ड्रेस, महंगें जूते, महंगी महंगी गाड़ियों में चलते हुए ऐसोआराम की जिंदगी व्यतीत करते हैं। कर्ज होने के बावजूद अमीर आदमी बड़े बड़े होटलों व महंगे कपड़े व महंगी गाड़ियों में चलना बंद नहीं करता। दूसरी तरफ किसान को उसके घर से भी निकालकर सड़क पर लाकर छोड़ दिया जाता है। ( Abtak News India )


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