Jind administration claims : बेसहारा गोवंश पर रोक नहीं लगा पा रहा प्रशासन, अब सीएम कमेटी बनाएगी योजना
Jind News Today : जींद शहर में बेसहारा गोवंश की समस्या कम होने की बजाय बढ़ती जा रही है। सड़कों से बेसहारा पशुओं को हटाने के लिए 11 साल पहले काम शुरू किया गया था। 11 साल बाद भी शहर में बेसहारा पशुओं की संख्या घटने की बजाय बढ़ती जा रही है। हालांकि छह महीने पहले भी पशुओं को पकड़ने का अभियान चलाया गया। इसके बावजूद अभी भी सड़कों पर एक हजार से अधिक बेसहारा पशु घूम रहे हैं। जींद प्रशासन ने चार साल पहले जिले को बेसहारा पशुओं से मुक्त घोषित ( Jind administration claims ) किया था, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है।
सड़कों पर बेतरतीब घूम रहे गोवंशियों के कारण चोटिल हो रहे लोग
बेसहारा पशुओं के कारण सड़क हादसे होते रहते हैं। बाजार में भी सांड आपस में भिड़ जाते हैं। इससे दुर्घटना होती रहती हैं। हालांकि अब सरकार द्वारा कैटल मैनेजमेंट कमेटी गठित की गई है। डीसी की अगुवाई वाली यह कमेटी जिला में बेसहारा पशुओं को नियंत्रित व प्रबंधन करने को लेकर योजना बनाएगी। ( Jind latest News in Hindi )
डीसी भी रहे अभियान में शामिल

शहर की सड़कों से बेसहारा पशुओं को हटाने का अभियान 2014 में चलाया गया। तब अन्ना टीम के सदस्यों ने गोवंशियों को रानी तालाब में भेज दिया था। इसके बाद प्रशासन ने संज्ञान लिया और जयंती देवी मंदिर के सामने अस्थायी और बीड़ के पास स्थायी नंदीशाला बनाई। ( Jind News Abtak )
उस समय चार हजार से अधिक गोवंशी को नंदीशाला में भेजा गया था। तब के डीसी रहे विनय सिंह रात को स्वयं गोवंश को हांक कर नंदीशाला ले जाते थे। इसके बाद यह अभियान बंद हो गया और नगर परिषद गोवंश पकड़ने के लिए ठेका देने लगा। इसके बाद भी बेसहारा पशु सड़कों से कम नहीं हुए।
पिछले साल 500 गोवंशी पकड़कर भेजे थे नंदीशाला
सड़कों से बेहसारा गोवंशी को हटाने के लिए पिछले साल नगर परिषद द्वारा ठेका दिया गया था। इस दौरान ठेकेदार ने 1300 रुपये प्रति गोवंश के हिसाब से 500 गोवंश को पकड़ा। तब शहर में गोवंश कम होने का असर साफ दिख रहा था। इसके बाद फिर से गोवंश सड़कों पर आ गया है।
नागरिक अस्पताल की डाक्टर दीक्षा यादव आ चुकीं चपेट में
चार साल पहले नागरिक अस्पताल की चिकित्सक डा. दीक्षा यादव बेसहारा गोवंशी की चपेट में आ गई थी। वे अस्पताल से ड्यूटी समाप्त कर घर जा रही थी। जब वे लघु सचिवालय के पास पहुंची तो उनकी गाड़ी के आगे सांड आ गया। इसमें डा. दीक्षा यादव को चोट आई थी।

एडवोकेट सतीश गिल के अनुसार उनका भाई जसवंत गिल तीन दिन पहले खाना खा कर रात करीब नौ बजे टहलने के लिए गोहाना रोड पर आया था। जब वे एसपी कोठी के पास पहुंचे तो यहां सांडने टक्कर मार दी। इससे उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई। साथ ही चेहरे व सिर में भी चोट आई हैं। शहर में बेसहारा पशुओं की समस्या गंभीर समस्या बनी हुई है।
हर साल दस से अधिक मौत
बेसहारा पशुओं के कारण होने वाले हादसों में हर साल दस से अधिक मौत होती हैं। वहीं, 100 से अधिक लोग घायल हो रहे हैं। यह मामला कई बार सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में भी उठा चुका है। इसके बावजूद प्रशासन इन पर रोक नहीं लगा राह है।
बेसहारा पशुओं को लेकर सरकार ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब जिला स्तर पर कैटल मैनेजमेंट कमेटी बनाई जाएगी। डीसी की अध्यक्षता वाली इस कमेटी कई अधिकारी शामिल रहेंगे । यह कमेटी इसको लेकर योजना बनाएगी। इसमें पशुओं छोड़ने वालों पर भी कार्रवाई को लेकर नियम बनाया जाएगा। – सुरेंद्र दून, डीएमसी।
भारतीय न्याय संहिता के अनुसार बेसहारा पशु छोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है। धारा 291 के तहत ऐसा करने पर पशु मालिक की पहचान कर छह महीन की सजा व पांच हजार रुपये जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। इसके अलावा धारा 125 के तहत बेसहारा पशु यदि किसी संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है तो उसके मालिक की पहचान कर तीन महीने की सजा व ढाई जार रुपये जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा स्थानीय निकाय भी अपने स्तर पर नियम बनाकर कार्रवाई कर सकता है।
एडवोकेट विरेंद्र जांगड़ा।
घटना एक जुलाई की है। में परिवार के साथ बाहर से आई थी। घर के पास पहुंचे तो सामने से सांड भागता हुआ आ रहा था। उसके पीछे दूसरा सांड लगा था। जब हम घर के अंदर ही जा रहे थे, सांड में भाग कर टक्कर मार दी। इससे गंभीर चोट आई हैं। कालोनियों में भी बेसहारा पशुओं का आतंक है। बच्चों का भी डर लगा रहता है।
विद्या देवी. अर्बन एस्टेट निवासी।
Jind administration claims – city is free of stray animals, in reality they ‘rule’ on the roads
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