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kisan andolan hisar का सारांश
13 अगस्त 2025 को राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के आह्वान पर हिसार लघु सचिवालय के मुख्य गेट पर किसानों का विशाल धरना-प्रदर्शन हुआ। “बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत छोड़ो, कॉरपोरेट खेती छोड़ो” के नारे गूंजते रहे।
इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने कॉर्पोरेट और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पुतले का दहन किया और अपनी मांगों को लेकर प्रशासन को ज्ञापन सौंपा।
किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कॉरपोरेट हितों को बढ़ावा देकर किसानों की स्वतंत्रता और देश की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल रही है। SKM ने इसे न सिर्फ कृषि के कॉरपोरेटीकरण का प्रयास बताया, बल्कि राज्य सरकारों के अधिकारों और भारत की संप्रभुता पर हमला भी करार दिया।
kisan andolan hisar : किसानों की प्रमुख मांगें

MSP की कानूनी गारंटी
- C2+50% फार्मूले पर सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी हो।
- केवल घोषणा नहीं, बल्कि MSP पर सरकारी खरीद भी सुनिश्चित की जाए।
- यह सुनिश्चित किया जाए कि किसानों को फसल का दाम बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित न हो।
कर्ज माफी और सहकारी समितियाँ
- सभी किसानों और कृषि मजदूरों का समग्र कर्ज माफ किया जाए।
- माइक्रो फाइनेंस कंपनियों द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में किए जा रहे उत्पीड़न को रोका जाए।
- कानून बनाकर गांव स्तर पर उत्पादक सहकारी समितियों की स्थापना हो, जो किसानों को बिना ब्याज के कर्ज दें।
- MFI ऋण प्रणाली को 4% वार्षिक ब्याज पर सख्ती से नियंत्रित किया जाए।
बिजली नीति में बदलाव
- बिजली क्षेत्र के निजीकरण का विरोध।
- स्मार्ट मीटर लगाने की योजना रद्द की जाए।
- लंबित बिजली बिल माफ हों।
- ग्रामीण क्षेत्रों में 300 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाए।
- सिंचाई के पंप सेट के लिए पर्याप्त और सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जाए।
SKM की आपत्तियाँ केंद्र सरकार की नीतियों पर
NPFAM – एपीएमसी मंडियों का निजीकरण
नवंबर 2024 में केंद्र सरकार ने नेशनल पॉलिसी फ्रेमवर्क ऑन एग्रीकल्चरल मार्केटिंग (NPFAM) घोषित किया, जिसके तहत APMC मंडियों और सरकारी मार्केट यार्डों का PPP मोड में आधुनिकीकरण किया जाएगा।
SKM का आरोप है कि इस कदम से:
- मंडियों का निजी पूंजी पर नियंत्रण बढ़ेगा।
- सरकारी खरीद कमजोर होगी।
- PDS (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) पर असर पड़ेगा।
- छोटे किसानों की मोलभाव करने की क्षमता खत्म हो जाएगी।
NCP – कॉरपोरेट हित में FPO मॉडल
जुलाई 2025 में घोषित नई नेशनल कोऑपरेटिव पॉलिसी (NCP) के तहत ग्राम पंचायत स्तर पर FPOs को एकल बिंदु बनाया जाएगा, जहां से बीज, उर्वरक, कीटनाशक, बिजली, खेती की सेवाएं और फसल बिक्री का काम होगा।
SKM के मुताबिक:
- ये FPOs लाभ कमाने वाली इकाइयाँ होंगी, MSP या न्यूनतम मजदूरी सुनिश्चित करने के बजाय मुनाफे पर जोर देंगी।
- किसानों को व्यापारिक फसलें उगाने को मजबूर किया जाएगा।
- कॉर्पोरेट खाद्य प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा मिलेगा।
अमेरिकी FTA और GM फूड्स का खतरा
- SKM का आरोप है कि अमेरिका के साथ चल रही बातचीत के तहत GM खाद्य पदार्थों, अनाज, सोया, मक्का, कपास का आयात बढ़ेगा।
- इससे भारतीय किसानों की प्रतिस्पर्धा घटेगी और कृषि क्षेत्र पर MNCs का नियंत्रण बढ़ेगा।
- अमेरिका द्वारा थोपे गए 25% टैरिफ को भारत की संप्रभुता पर हमला बताया गया।
अन्य मुद्दों पर किसानों का विरोध
- 10 वर्ष से अधिक पुराने डीजल वाहनों और ट्रैक्टरों पर प्रतिबंध की योजना को अव्यावहारिक बताया।
- वन अधिकार अधिनियम 2006 को मूल रूप में लागू करने की मांग।
- आदिवासी और वनवासियों का विस्थापन रोकने तथा जंगलों की कटाई और कॉरपोरेट खनन पर रोक लगाने की मांग।
- उत्तर प्रदेश में 50 से कम छात्रों वाले प्राथमिक स्कूलों को बंद करने के निर्णय का विरोध।
- अल्पसंख्यकों, दलितों और वंचित वर्गों पर हो रहे हमलों को रोकने की मांग।
- मछुआरों को मुफ्त मछली पकड़ने के अधिकार बहाल करने की मांग।
किसान नेताओं के बयान
kisan andolan hisar में शामिल किसान नेताओं ने मंच से सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की।
- शमशेर सिंह नम्बरदार – “हम खेती को कॉरपोरेट के हाथों में नहीं जाने देंगे।”
- रणवीर मलिक – “MSP गारंटी कानून के बिना किसान सुरक्षित नहीं।”
- विकास सिसर – “अमेरिकी समझौते भारत के किसानों के लिए मौत का सौदा हैं।”
- संदीप सिवाच – “बिजली निजीकरण किसानों की कमर तोड़ देगा।”
इसके अलावा सरदानन्द राजली, जसवीर सूरा, राजीव मलिक, डॉ. करतार सिवाच, मेहर सिंह बांगड़, सुधीर सिंघवा, चरणपाल सिंह, सुरेंद्र मान, निर्मला देवी, बिमला तरड़, मास्टर रामकुमार, सुबे सिंह बूरा, बलराज सिंह, सोमवीर भगाना, हवा सिंह संघर्ष, समुद्र नम्बरदार, रमेश मिरकां, बलराज मलिक, रणधीर मिलकपुर, अंग्रेज बूरा, मुकेश घणघस, सतपाल शर्मा, रमेश सातरोड़, सुरेश कुमार, टेकराम मलिक, राजा मेम्बर हसनगढ़, रोशन लाल, महासिंह सिंधु सहित कई किसान नेता मौजूद रहे।
आंदोलन का राष्ट्रीय महत्व
SKM ने kisan andolan hisar में यह साफ किया कि यह आंदोलन केवल किसानों का मुद्दा नहीं, बल्कि बिजली उपभोक्ताओं, कृषि मजदूरों, छोटे व्यवसायियों और आम जनता के हक की लड़ाई है।
- खाद्य सुरक्षा पर खतरे के खिलाफ आवाज।
- राज्यों के अधिकारों को बचाने की लड़ाई।
- रोजगार और आय पर मंडराते संकट से निपटने की मांग।