Lack of stadium in Bhuna, players are bringing medals on their own
फुटबॉल, हॉकी व कुश्ती दंगल : भूना के खिलाड़ियों ने विदेशियों को खेल स्पर्धा में चटाई धूल
Bhuna News (संगीता रानी) : खेल स्टेडियम का भले ही ब्लॉक भूना में अभाव रहा हो, मगर यहां के खिलाड़ियों ने फुटबॉल, हॉकी व कुश्ती दंगल में प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़कर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सका। इसलिए खिलाड़ियों ने विदेशों में अपनी प्रतिभा का उत्कृष्ट प्रदर्शन करके कामयाब हुए हैं। परंतु दुखद पहलू यह है कि उपरोक्त खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए खेल स्टेडियम जैसी महत्वपूर्ण सुविधा उपलब्ध नहीं है। हालांकि सरकारी स्तर पर पिछले कई वर्षों से कागजों में अलग-अलग खेल नर्सरी चल रही है। परंतु अभ्यास के लिए खिलाड़ियों के पास भूना शहर में स्टेडियम नाम की कोई चीज नहीं है।
राष्ट्रीय सुब्रोतो फुटबॉल कप लगातार 13 वर्षों से भूना के खिलाड़ी जीत रहे हैं। इन्हीं की बदौलत नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा स्टेडियम हुड्डा सरकार में भूना में बनना प्रस्तावित था। मगर राजनीतिक महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ गया। इसलिए ग्रामीण आंचल में तैयार हो रही खिलाड़ियों की पौध की सरकार व अधिकारियों को फिक्र नहीं है। मगर फिर भी बुलंदियों को छू रहे हैं।अभ्यास के लिए इधर-उधर भटक रहे खिलाड़ी फतेहाबाद रोड पर वर्ष 1994 में सिरसा से तत्कालीन सांसद कुमारी सैलजा ने करीब 6 एकड़ भूमि में मिनी स्टेडियम बनाकर फुटबाल खिलाड़ियों को सौगात दी थी।
क्योंकि भूना के युवाओं का फुटबाल खेल के प्रति लगाव 1989 से शुरू हुआ था। क्योंकि मिनी स्टेडियम भूना में फुटबाल की जो पौध तैयार हुई थी वह वर्तमान में पेड़ बन चुकी है। लेकिन वर्ष 2014 में मिनी स्टेडियम की जमीन को खिलाड़ियों से छीनकर नगर पालिका ने एजेंडा पारित करके कॉलेज निर्माण के लिए सरकार को फ्री में दे दी। परंतु तभी से लेकर आज तक खिलाड़ियों को खेल स्टेडियम की सुविधाएं नहीं मिली। लेकिन खिलाड़ियों ने भी अपनी हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने खेतों की खाली जमीन को मैदान बनाकर अपना अभ्यास करके आगे बढ़ रहे है।
भूना के मिनी के स्टेडियम की जमीन कॉलेज को दिए जाने के बाद सैकड़ों खिलाड़ियों को अभ्यास के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। नगरपालिका जमीन देने के लिए तैयार है तो सरकार को स्टेडियम बनाकर देना चाहिए।
अमनदीप सिंह, राष्ट्रीय खिलाड़ी
अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉलर्स की पहचान है।सुविधाएं जो खिलाड़ियों को मिलनी चाहिए, वह पर्याप्त नहीं है। क्योंकि सबसे पहले खिलाड़ी को अभ्यास के लिए स्टेडियम की जरूरत होती है वह पिछले कई वर्षों से नहीं है। कॉलेज की मैदान में खिलाड़ियों को अभ्यास करवाना पड़ रहा है। जिसका कोई औचित्य नहीं।
खेलों में आगे बढ़ने के लिए युवाओं को पर्याप्त सुविधाएं मिलनी जरूरी है। मगर खिलाड़ियों को खेतों के रास्तों व सड़कों पर प्रैक्टिसकरनी पड़ रही है। बैजलपुर के युवाओं ने एथलीट व हॉकी तथा कबड्डी में अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय खेलों में जीत दर्ज करवा चुके हैं। मैंने भी दौड़ लगाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने का सफर तय किया है। अगर गांव में खेलों की सुविधाएं होगी तो युवाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।पूजा ओला, एथलीट अंतर्राष्ट्रीय गोल्ड मेडलिस्ट।सरकार को खेलों के प्रति युवाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन देना चाहिए। हरियाणा के खिलाड़ियों ने प्रत्येक खेलों में सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते हैं।
खुशवंत सिंह, राष्ट्रीय खिलाड़ी
लड़कियां खेलों में बड़ी संख्या में आगे बढ़ रही है। परंतु स्टेडियम के नहीं होने से अभिभावक व महिला खिलाड़ियों को दिक्कत आ रही क्योंकि है। प्रैक्टिस करने के लिए उन्हें कोई उचित सुविधाएं नहीं मिल रही है। खिलाड़ियों को सबसे पहले अभ्यास करने के लिए अच्छे स्टेडियम की जरूरत होती है। इसलिए खेलों से संबंधित पर्याप्त मात्रा में सुविधा मिलनी चाहिए।-
प्रियंका छिंपा, कबड्डी एवं एथलीट राज्य स्तरीय खिलाड़ी