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Shmashan Harit Kranti : श्मशानों को हरित क्रांति में बदलने वाले जननायक बने सेलपाड़

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Shmashan Harit Kranti Rah Group Foundation

नरेश सेलपाड़: श्मशान भूमि को हरित क्रांति में बदलने वाले जननायक

राह ग्रुप फाउंडेशन के चेयरमैन नरेश सेलपाड़ ने श्मशान भूमि जैसे उपेक्षित, भय, गंदगी और मृत्यु से जुड़े स्थानों को पर्यावरण, सामुदायिक स्वास्थ्य और प्राकृतिक (Shmashan Harit Kranti ) जागरूकता के केंद्र में बदलने का अनूठा कार्य किया है। यह कार्य केवल एक पौधारोपण अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक और पर्यावरणीय आंदोलन है, जिसने हजारों लोगों की सोच, भागीदारी और जीवनशैली को बदला है।

Shmashan Harit Kranti” की नींव

Naresh Selpad Shmashan Harit Kranti Rah Group Foundation

नरेश सेलपाड़ ने यह पहल तब शुरू की जब उन्होंने महसूस किया कि श्मशान भूमि उपेक्षा, गंदगी और जंगली झाड़ियों का अड्डा बन चुकी हैं। उन्होंने  ( Shmashan Harit Kranti ) हरियाली के मंदिर में बदलने का संकल्प लिया। उनका विचार था – “जहां जीवन की अंतिम सांसें आती हैं, वहां प्रकृति की सांसें भरनी चाहिए।” इस सोच के साथ उन्होंने 2018 में “श्मशानों में हरित क्रांति” अभियान की शुरुआत की। हालांकि वो पौधारोपण व समाजसेवा अभियानों से वर्ष 2011 से जुड़े हुए हैं।

100 से अधिक श्मशान स्थलों का कायाकल्प

अब तक हिसार, जींद, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, कैथल, महेन्द्रगढ़ जैसे जिलों में 100+ श्मशान भूमियों को हरित, स्वच्छ और उपयोगी स्थल बनाने में अप्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से सराहनीय योगदान दिया है।

पौध नर्सरियां और लाखों पौधों का वितरण

राह ग्रुप फाउंडेशन ने कई निःशुल्क पौध नर्सरियों की स्थापना की, जिनमें औषधीय, फूलदार, फलदार एवं छायादार पौधों को उगाया जाता है। संस्था के “कलरफुल इंडिया” अभियान के तहत: प्रति वर्ष 20 लाख से अधिक फूलदार पौधे और 11,000+ औषधीय व फलदार पौधे नि:शुल्क वितरित किए जाते हैं।

हरियाणा की सबसे बड़ी गिलोय नर्सरी

Shmashan Harit Kranti : श्मशानों को हरित क्रांति में बदलने वाले जननायक बने सेलपाड़
श्मशानों को हरित क्रांति में बदलने वाले जननायक बने सेलपाड़

हरियाणा की सबसे बड़ी गिलोय नर्सरी भी तलवंडी राणा में राह संस्था द्वारा संचालित की जा रही है, जिससे हजारों किसानों को गिलोय की कलमें निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती हैं।

1,000 से अधिक स्थानीय स्वयंसेवकों का नेटवर्क

Shmashan Harit Kranti आंदोलन से 1,000+ ग्रीन वॉलंटियर जुड़े हैं, जिनमें महिलाएं, युवक मंडल, पंचायत प्रतिनिधि और स्कूलों के छात्र भी शामिल हैं। ये स्वयंसेवक पौधों की देखभाल, नर्सरी प्रबंधन और जनजागरूकता का कार्य करते हैं। लगभग प्रत्येक गांव में “ग्रीन वॉलंटियर” की नियुक्ति की गई है जो पर्यावरण रक्षक की भूमिका निभा रहे हैं।

ऑक्सीजन जोन विलेज तलवंडी राणा बना मॉडल

नरेश सेलपाड़ की प्रेरणा से तलवंडी राणा गांव, हरियाणा का पहला ऑक्सीजन जोन विलेज बना। यहां श्मशान भूमि में मेडिटेशन ज़ोन, योग स्थल, हर्बल गार्डन, वॉकिंग ट्रैक, बर्ड फीडिंग स्पॉट तैयार किए गए हैं। इसी प्रकार अब इस मॉडल पर प्रदेश के 25+ गांव कार्य कर रहे हैं।

स्कूलों और सामाजिक संस्थानों में हरियाली विस्तार

श्मशान की पौधशालाओं से तैयार फूलदार पौधों को 600+ स्कूलों, आंगनबाड़ियों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों में लगाया जाता है। कई गांवों में, पहले जहां गंदगी और झाड़ियां थीं, वहां अब फूलों के पथ, प्राकृतिक वॉकवे और छायादार वृक्षों की पंक्तियाँ हैं।

रोजगार और औषधीय खेती को बढ़ावा

Shmashan Harit Kranti अभियान ने महिलाओं और युवाओं को प्रशिक्षित कर रोजगार से जोड़ा है। प्रदेश के अनेक किसान अब अश्वगंधा, तुलसी, नीम व गिलोय आदि की औषधीय खेती भी करने लगे हैं। इसके अलावा इससे आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ-साथ जैविक खेती का संदेश भी फैला है।

जलवायु प्रभाव – तापमान व जैव विविधता में सुधार

राह संस्था के प्रयासों से 20 से अधिक गांवों में तापमान में 1-1.5°C तक गिरावट दर्ज की गई है। छायादार पेड़ों के कारण 30% तक पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है। इसलिए कुछ स्थानों को अब “ऑक्सीजन पॉकेट” कहा जाता है, जहां स्थानीय लोग सांस लेने आते हैं।

कम लागत – उच्च प्रभाव वाला स्केलेबल मॉडल

यह मॉडल कम संसाधनों से, स्थानीय सहयोग, जनभागीदारी, और प्राकृतिक संसाधनों के साथ टिकाऊ विकास की मिसाल बन गया है। Shmashan Harit Kranti अभियान को हरियाणा की तरह ही से पूरे देश में आसानी से दोहराया जा सकता है।

इनका कार्य दूसरों से अलग क्यो

यह कार्य दूसरों से इसलिए भी अलग है क्योंकि इसमें मृत्यु स्थलों को जीवन, शांति और प्रकृति के प्रतीक में बदला गया है। इसमें जनभागीदारी, औषधीय खेती, महिला सशक्तिकरण, जैव विविधता संरक्षण और सामुदायिक उपयोग की सोच जुड़ी है, जो इसे सामान्य पौधारोपण अभियानों की तुलना में कहीं अधिक गहराई और स्थायित्व देती है। इससे सालों से श्मशान रुपी विरान पड़ी लाखों एकड़ जमीन का सामुदायिक उपयोग संभव हुआ है।

Shmashan Harit Kranti अभियान इसलिए भी विशेष है क्योंकि इसने मृत्यु स्थलों को जीवन, हरियाली और समुदाय के उपयोग योग्य स्थलों में बदला। जनभागीदारी, महिला सशक्तिकरण, औषधीय खेती और जैव विविधता संरक्षण इसे अन्य अभियानों से अलग बनाते हैं। इस कार्य से वर्षों से उपेक्षित लाखों एकड़ भूमि को हरित ऊर्जा केंद्रों में बदलने की दिशा मिली है।

नरेश सेलपाड़ की नेतृत्व कुशलता

नरेश सेलपाड़ की सबसे विशेष कुशलता उनकी दूरदर्शी सोच, जनभागीदारी को संगठित करने की क्षमता और श्मशान जैसे उपेक्षित स्थलों को हरियाली में बदलने की नेतृत्व क्षमता है। उन्होंने पर्यावरण, समाज और सामुदायिक उपयोग को जोड़कर एक स्थायी और प्रेरणादायी मॉडल खड़ा किया।

नरेश सेलपाड़ की यूनिक उपलब्धियां

नरेश सेलपाड़ की यूनिक उपलब्धियों में 100+ निर्जनों श्मशानों को हरित, स्वच्छ और समुदाय उपयोगी क्षेत्रों में बदलना है। उन्होंने ऐसा करके एक सामाजिक क्रांति ( Shmashan Harit Kranti ) का मार्ग प्रशस्त किया। हरियाणा की सबसे बड़ी गिलोय नर्सरी स्थापित कर हजारों किसानों को औषधीय खेती से जोड़ना। राह संस्था की अलग-अलग नसर्रियों से प्रति वर्ष 20 लाख+पौधों का निःशुल्क वितरण, 1,000+ पर्यावरण स्वयंसेवकों का सशक्त नेटवर्क, और 25+ “ऑक्सीजन पॉकेट” गांव उनके नेतृत्व की मिसाल हैं। जनभागीदारी, महिला सशक्तिकरण, जलवायु सुधार और सतत विकास को जोड़ती यह पहल वास्तव में स्थायी परिवर्तन की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।

कैसे अपनाई गई दूसरे से अलग मुहिम

Shmashan Harit Kranti में बदलाव को नरेश सेलपाड़ ने चरणबद्ध, सहभागी और नवाचार-आधारित रणनीति से अमलीजामा पहनाया। सबसे पहले उन्होंने स्थानीय पंचायतों, युवाओं और महिला समूहों को जोड़कर जनभागीदारी सुनिश्चित की। फिर राह ग्रुप फाउंडेशन के माध्यम से श्मशानों की सफाई, समतलीकरण, चारदीवारी और भूमि की उर्वरकता बढ़ाने का कार्य किया। श्मशानों में पौधशालाएं विकसित कर उनमें औषधीय, छायादार और फूलदार पौधे लगाए गए। योग स्थल व हर्बल गार्डन जैसी सुविधाएं जोड़ी गईं। गंदे पानी का रुख मोड़कर श्मशानों में लाया गया, मटका थरैपी, पौधों की क्लोनिंग करने साथ-साथ वैज्ञानिक सोच से मृत्यु के प्रतीकों को जीवन, शांति और प्रकृति के केंद्र में बदला गया।

प्रदेश स्तर पर मिली अलग पहचान

नरेश सेलपाड़ और उनकी टीम ने हरियाणा के 12 जिलों में 100+ श्मशान भूमियों को हरित-स्वच्छ स्थलों में बदलकर पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश की है। इनके प्रयासों से प्रति वर्ष 20 लाख से अधिक पौधे लगाए जाते हैं, जिनमें श्मशान भूमियों की नर्सरियों से तैयार पौधे शामिल हैं। प्रदेश भर से 1,000+ स्वयंसेवकों की मदद से इन पौधों को 600+ स्कूलों, आंगनबाड़ियों और सार्वजनिक स्थानों में रोपा गया है। महिलाएं, युवा और स्थानीय समुदाय के सदस्य ‘ग्रीन वॉलंटियर्स’ के रूप में इस हरित क्रांति का हिस्सा बने हैं। यह पहल न केवल पर्यावरण को समृद्ध कर रही है, बल्कि सामुदायिक भागीदारी को भी मजबूत कर रही है।

नरेश सेलपाड़ की Shmashan Harit Kranti

नरेश सेलपाड़ और उनकी टीम ने हरियाणा के 12 जिलों में 100+ श्मशान भूमियों को हरित-स्वच्छ क्षेत्रों में बदला है। संस्था के इस प्रतिवर्ष 20 लाख+ पौधारोपण के इस अभियान में श्मशान नर्सरियों का प्रमुख योगदान रहा है, 1,000+ स्वयंसेवकों ने 600+ स्कूलों, आंगनबाड़ियों व सार्वजनिक स्थानों में इन्हें रोपा या उनका सहयोग कर रहे हैं। ‘ग्रीन वॉलंटियर्स’ के रूप में प्रदेश के कौने-कौन से महिलाओं, युवाओं और स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी इसकी सफलता का आधार है।

नरेश सेलपाड़ व उनकी टीम ने हरियाणा के 12 जिलों में 100+ श्मशान भूमियों को हरित स्थलों में बदलकर अनूठी मिसाल कायम की है। प्रतिवर्ष 20 लाख+ पौधे लगाकर वे पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। 1,000+ स्वयंसेवकों के नेटवर्क ने 600+ स्कूलों व सार्वजनिक स्थानों में हरित आवरण बढ़ाया है। ‘ग्रीन वॉलंटियर्स’ के रूप में महिलाओं, युवाओं व स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी इस अभियान की सफलता का आधार है। यह पहल न केवं पर्यावरण को समृद्ध कर रही है, बल्कि सामुदायिक एकजुटता को भी मजबूती प्रदान कर रही है।

नरेश सेलपाड़ की हरित क्रांति में हरियाणा के 12 जिलों के 1,000+ स्वयंसेवक सक्रिय हैं। महिलाएं नर्सरी प्रबंधन व पौधों की देखभाल कर रही हैं, जबकि युवा पौधारोपण व जागरूकता अभियान चला रहे हैं। स्थानीय समुदाय ने 100+ श्मशान भूमियों को हरित पार्कों में बदला है। प्रतिवर्ष 20 लाख पौधे लगाकर 600+ स्कूलों व सार्वजनिक स्थानों को हरा-भरा बनाया जा रहा है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी ‘मटका थेरेपी’ जैसी तकनीकों से पौधों को सींच रहे हैं। यह अभियान पर्यावरण संरक्षण के साथ सामाजिक एकजुटता भी मजबूत कर रहा है।

श्मशानों को हरियाली के मंदिरों में बदलने वाले योद्धा नरेश सेलपाड़ के प्रयासों से जनमानस की मानसिकता में व्यापक परिवर्तन हुआ है।————————
नरेश सेलपाड़ को अब तक मिले अवार्ड:-
राह ग्रुप फाउंडेशन के चेयरमैन नरेश सेलपाड़ को अब तक हरियाली दीप सम्मान (पोलार्क मीडिया ग्रुप, नई दिल्ली), हरित योद्धा सम्मान (बेगमपुरा चैरिटेबल ट्रस्ट), वृक्ष मित्र सम्मान (जय हिंद परिवार, टोहाना), वृक्ष विभूषण अवार्ड (यूरेका ग्लोबल असेसर्स, चंडीगढ़), प्रकृति मित्र अवार्ड (परमार्थ चैरिटेबल ट्रस्ट), जल-जंगल-जमीन संरक्षण पुरस्कार, हरित वीर प्रशंसा-पत्र, ग्रीन वॉरियर्स अवार्ड, अमृता देवी हरित शौर्य सम्मान, संस्कृति गौरव अवार्ड, पर्यावरण योद्धा अवार्ड, स्वच्छ श्मशान पहल पुरस्कार, पंचतत्व संतुलन विभूषण अवार्ड, विराना से वृंदावन अवार्ड, हरित क्रांति गौरव पुरस्कार, कलरफुल इंडिया ग्रीन लीडरशिप अवार्ड, हरित संरक्षक सम्मान, युवा प्रेरणा अवार्ड सहित अनेक अवार्ड व सम्मान मिल चुके हैं।

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