Sardiyon me janwaron me bimariyon ka khatra : ठंड में पशुओं को होने वाली बीमारियां
Bimariyon ka khatra : लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास), हिसार के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा के निर्देशानुसार शीत ऋतु के दौरान पशुपालकों के लिए एक महत्वपूर्ण जनहित परामर्श जारी की गई है। इस परामर्श में पशुशालाओं में अंगीठी, कोयला, लकड़ी अथवा धुएँ वाले हीटर के प्रयोग को अत्यंत खतरनाक और जानलेवा बताते हुए पशुपालकों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
Risk of diseases spreading among animals winter season : सर्दियों में पशुओं में बीमारियों के लक्षण

लुवास के सह जनसंपर्क अधिकारी डॉ विशाल शर्मा के अनुसार सर्दियों में पशुओं को ठंड से बचाने के उद्देश्य से बंद या कम हवादार पशुशालाओं में अंगीठी या कोयला जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी जहरीली गैस उत्पन्न होती है। यह गैस रंगहीन एवं गंधहीन होती है, जिससे इसकी पहचान करना कठिन हो जाता है। गैस के कारण पशुशाला में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है, जिससे पशुओं में घुटन, सुस्ती, सांस लेने में परेशानी, बेहोशी तथा गंभीर मामलों में मृत्यु तक हो सकती है। यह खतरा विशेष रूप से बछड़े-बछड़ियों, गर्भवती, बीमार एवं कमजोर पशुओं में अधिक देखा जाता है।
ठंड में पशुओं को होने वाली प्रमुख बीमारियां, bimariyon ka khatra
डॉ शर्मा ने बताया कि यदि पशुओं में असामान्य सुस्ती, तेज या उथली सांस, आंखों का लाल होना, मुंह से झाग आना या अचानक गिरने जैसे लक्षण दिखाई दें, तो इसे गंभीरता से लेते हुए पशुओं को तुरंत खुले एवं हवादार स्थान में ले जाना चाहिए तथा शीघ्र ही नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करना आवश्यक है।
सर्दियों में पशुओं की सुरक्षा और सावधानियां
लुवास विश्वविद्यालय हिसार ने पशुपालकों को स्पष्ट रूप से सलाह दी है कि रात्रि के समय पशुशालाओं में अंगीठी, कोयला या लकड़ी का प्रयोग बिल्कुल न करें। यदि किसी परिस्थिति में गर्माहट की आवश्यकता हो तो केवल खुले एवं पूरी तरह हवादार स्थान में सीमित समय के लिए ही इसका उपयोग करें तथा सोने से पहले आग को पूरी तरह बुझाना सुनिश्चित करें। पशुशालाओं में खिड़की, रोशनदान एवं उचित वेंटिलेशन की व्यवस्था अनिवार्य रूप से होनी चाहिए।
सर्दियों में पशुओं को स्वस्थ रखने के उपाय
लुवास विशेषज्ञों ने सुरक्षित विकल्पों को अपनाने पर भी जोर दिया है, जिनमें सूखा एवं मोटा बिछावन, ठंडी हवा रोकने के लिए तिरपाल या पर्दों का प्रयोग, पशुओं को समूह में रखना तथा आवश्यकता अनुसार इन्फ्रारेड बल्ब का सुरक्षित उपयोग शामिल है। साथ ही सर्दी के मौसम में पशु आहार एवं पोषण पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी गई है, ताकि पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत बनी रहे।
bimariyon ka khatra : पशुपालकों के लिए सर्दियों में जरूरी सावधानियां
लुवास के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. निलेश सिंधु ने जानकारी देते हुए बताया कि यह परामर्श पशुपालकों के हित में जारी की गई है और इसका उद्देश्य शीत ऋतु के दौरान पशुओं की अनावश्यक क्षति को रोकना है। उन्होंने पशुपालकों से अपील की कि वे स्वयं सतर्क रहें और इस महत्वपूर्ण सूचना को अधिक से अधिक पशुपालकों तक पहुंचाएं, ताकि पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।उन्होंने स्पष्ट किया है कि पशुओं की सुरक्षा ही उनकी सबसे अच्छी देखभाल है।
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