आजाद भारत के पहले शहीद मंशाराम को 77 साल बाद मिला सम्मान: School का नामकरण Shaheed Mansaram के नाम

By sunilkohar

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Shaheed mansaram PM shri School masudpur

आजाद भारत का पहले शहीद कहें तो कोई ताज्जुब की बात नहीं होगी। लेकिन आजाद भारत के इस शहीद सिपाही ( Shaheed mansaram ) को सम्मान मिलने में 77 साल का लंबा समय लग गया। परिवार और ग्रामीणों की वर्षों की मेहनत रंग लाई और सरकार ने गांव के सरकारी स्कूल का नाम शहीद मंशाराम ( Shaheed mansaram PM shri School masudpur ) के नाम से करने का फैसला ले लिया। सरकार के इस फैसले से शहीद के परिजनों के साथ-साथ ग्रामीणों में भी खुशी का माहौल देखा जा रहा है।

शहीद मंशाराम पीएम. श्री राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय मसूदपुर का नामकरण 

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विदित रहे कि भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट 3 के शहीद सैनिक मंशाराम जो 14 सितंबर सन् 1948 को भारत-पाक युद्ध में शहीद हो गये थे। आज़ादी के बाद देश का बँटवारा हो गया था, तब पाकिस्तान की ओर से जम्मू-कश्मीर पर पाक कबिलाईयों ने हमला कर दिया था। इस युद्ध में जाट रेजीमेंट 3 के सैनिक मंशाराम को अपनी रेजीमेंट के साथ युद्ध मोर्चे पर जम्मू कश्मीर भेजा गया था।

सैनिक मंशाराम ने बहादुरी के साथ लड़ते हुए अनेक दुश्मन सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। परंतु आमने-सामने की इस लड़ाई में एक गोला उनकी छाती में लगा, जिससे वीर सैनिक मंशाराम लड़ते-लड़ते देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर गए। जाट रेजीमेंट 3 के ये सैनिक अपना बलिदान देकर शहीदों की श्रेणी में खड़े हो गये । आज उनका नाम दिल्ली के इंडिया गेट , शहीद स्मारक के शिलापट्ट पर शहीदों की श्रेणी में लिखा हुआ है। ( Shaheed Mansaram masudpur Story )

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ग्राम पंचायत मसूदपुर द्वारा गांव के गौरव पट्ट पर भी शहीद का नाम अंकित है। ग्राम पंचायत मसूदपुर ने 2 दिसंबर 2019 को ग्राम सभा की बैठक में शहीद स्मारक बनाए जाने का प्रस्ताव पारित कर रखा है परंतु शहीद स्मारक अभी तक बना नहीं है ।

देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा शहीद सैनिक के पिता चौधरी मातुराम दलाल के नाम अपने हाथों से लिखा गया शोक पत्र भी भेजा था और अपनी संवेदनाएं प्रकट की थी। हिसार जिला सैनिक बोर्ड कार्यालय में आज तक 1948 से पहले का कोई शहीद का रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन शहीद सैनिक मंशाराम का नाम हिसार सैनिक बोर्ड कार्यालय में हिसार जिले के पहले शहीद के नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज किया जाएगा।

परिवार के सदस्य गण

  1. ज्ञान सिंह दलाल पुत्र श्री रामचंद्र ( भतीजा )
  2. सुरेंद्रपाल दलाल पुत्र श्री रामचंद्र ( भतीजा )
  3. रूपचंद दलाल पुत्र श्री रामेश्वर ( भतीजा )
  4. जगदीश दलाल पुत्र श्री रामेश्वर (भतीजा )
  5. सुरेश कुमार दलाल पुत्र श्री रामेश्वर (भतीजा )

ज्ञान सिंह दलाल जो शहीद सैनिक मंशाराम के भतीजे हैं । गांव में एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर कार्य करते हैं । साथ-साथ शहीद सैनिक मंशासिंह जनहित ट्रस्ट के अध्यक्ष है तथा आशीष दलाल जो शहीद सैनिक के पोत्र हैं ट्रस्ट के सचिव हैं। शहीद सैनिक के पोत्र मनदीप दलाल ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष हैं। ( Shaheed Mansaram PM Shri Government senior secondary School masudpur Hisar )


परिवार के लोग लगभग 25 वर्षों से गांव के सरकारी स्कूल का नाम शहीद के नाम से नामकरण करवाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। शहीद सैनिक के शहीदी दिवस पर पिछले कई वर्षों से आयोजन भी किए गए। आखिरकार परिवार की मेहनत रंग लाई और गांव के सरकारी स्कूल का नामकरण शहीद के नाम हुआ ।

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शहीद सैनिक के भतीजे ज्ञान सिंह दलाल द्वारा एक पुस्तक भी लिखी गई जिसका नाम ( मेरा गांव मेरा गौरव मसूदपुर ) है। जिसमें गांव का इतिहास लिखा गया है। इस पुस्तक में शहीद सैनिक मंशाराम के जीवनचरित्र का विस्तार से वर्णन किया गया है।

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