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किसानों को जानकारी देते कृषि विशेषज्ञ।
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हरियाणा न्यूज टूडे/सुनील कोहाड़।
खेती-बाड़ी की ताजा खबर: खरीफ फसल के सीजन को ध्यान में रखते हुए और ग्वार की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को बिजाई से पूर्व ही कृषि विभाग हिसार के खण्ड हिसार प्रथम के कृषि अधिकारी व ग्वार विशेषज्ञ (Guar Expert) की संयुक्त टीम जागरूक करने में लग गई है। इस बात को ध्यान में रखकर हिसार प्रथम के कृषि विकास अधिकारी डॉ. अमरजीत लाम्बा की देखरेख में ग्वार विशेषज्ञ के सहयोग से गांव चिड़ौद में ग्वार की समय से पहले बिजाई न करने व जडग़लन रोग की रोकथाम के बारे में जो इस क्षेत्र की गंभीर समस्या है, पर जागरूक शिविर का आयोजन किया गया। इस गांव में ट्रेनिंग का आयोजन प्रगतिशील किसान रमेश श्योरान व अन्य किसानों के अनुरोध पर की गई। इसी बात को ध्यान में रखकर गोष्ठी में ग्वार विशेषज्ञ ने ग्वार फसल की उन्नत किस्मों, समय पर बिजाई, बीज उपचार व संतुलित खाद के प्रयोग के बारे में किसानों को अवगत कराया।
ग्वार विशेषज्ञ डॉ. बीडी यादव ने किसानों से कहा कि ग्वार की बिजाई मई महीने में बिल्कुल न करें। ऐसा करने से फसल की बढ़वार ज्यादा हो जाएगी और फसल गिरने की आशंका भी ज्यादा रहेगी और फल कम आएगा तथा नीचे की फलियां जो बनेंगी वे सिकुड़ कर सूख जाएंगी। उसका पैदावार पर विपरीत असर आएगा। हिसार जिले के नहरी क्षेत्र में नरमा की बिजाई करने के बाद किसानों की आम धारणा रहती है नहर का पानी उपलब्ध होने पर वे अपने खेत में पानी लगाकर मई महीने में ग्वार की बिजाई करने लग जाते हैं। इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि इस समय पर ग्वार की बिजाई बिल्कुल न करें। डॉ यादव ने कहा कि सिंचित क्षेत्रों में जून के महीने में जब भी नहर के फालतू पानी की उपलब्धता हो तो ग्वार की बिजाई शुरू कर सकते हैं परन्तु ग्वार की बिजाई के लिए जून का दूसरा पखवाड़ा सबसे उचित है। ट्रेनिंग के दौरान किसानों से रूबरू होते हुए ग्वार विशेषज्ञ ने किसानों को बताया कि जडग़लन (उखेड़ा) रोग की फंफूद जमीन के अन्दर पनपती है जो उगते हुए पौधों की जड़ पर आक्रमण करती है। इससे पौधे की जड़ें काली पड़ जाती हैं तथा जमीन से पौधों की खुराक रुक जाती है।
ग्वार विशेषज्ञ ने किसानों को विषेष सलाह दी कि खड़ी फसल में जडग़लन रोग की रोकथाम के लिए पौधों पर स्प्रे करने का कोई फायदा नहीं होता। इस बीमारी की रोकथाम के लिए बीज उपचार ही एकमात्र हल है। इसके लिए 3 ग्राम कार्बन्डाजि़म 50 प्रतिशत (बेविस्टीन) प्रति किलो बीज की दर से सूखा उपचारित 15 से 20 मिनट करने के बाद ही बिजाई करनी चाहिए। ऐसा करने से 80 से 95 प्रतिशत इस रोग पर काबू पाया जा सकता है। जडग़लन रोग का इलाज मात्र 15 रुपए बीज उपचार से संभव है जो कि सस्ता और सरल उपाय है। उन्होंने किसानों को ग्वार की अच्छी पैदावार लेने के उन्नतशील किस्में एचजी 365, एचजी 563 व एचजी 2-20 की बिजाई उचित समय आने पर ही बीजने की सलाह दी।
कृषि विकास अधिकारी डॉ. अमरजीत लाम्बा ने शिविर में कहा कि बिजाई से पहले अपने खेत की मिट्टी व पानी की जांच अवश्य करवायें। इसके साथ-साथ उन्होंने खेती की पुरानी पद्धति छोडक़र नई तकनीक अपनाकर खेती करने पर विषेष जोर दिया। उन्होंने किसानों को फसल बीमा योजना को समय पर ऑनलाईन अप्लाई करने की सलाह दी। शिविर में 103 मौजूद किसानों को बीज उपचार के लिए दो एकड़ की वेबिस्टिन दवाई सैंम्पल के तौर तथा एक जोड़ी दस्ताने हिन्दुस्तान गम् एण्ड कैमिकल्स भिवानी की तरफ से दी गई।
इस गोष्ठी में प्रश्नोत्तरी सभा का अयोजन किया गया। उसके आधार पर पांच किसानों को इनाम देकर सम्मानित किया गया। प्रोग्राम आयोजित करने में उन्नतशील किसान रमेश श्योरान का अहम योगदान रहा। इस अवसर पर गांव के सरपंच मौलूराम के अलावा श्री कृष्ण बिश्नोई, टेक चन्द, मदन सिंह, अजीत राजपूत, कमल सिंह, वीर सिंह, महेन्द्र सिंह, मांगेराम, भगत सिंह, पवन गेट, शेर सिंह आदि मौजूद थे।
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