Immortal Love Story : सावन की तीज से पहले विरह पर हुई थी प्रेम की वर्षा

By sunilkohar

Updated On:

Follow Us
Immortal Love Story : सावन की तीज से पहले विरह पर हुई थी प्रेम की वर्षा
---Advertisement---

immortal love story of Indri princess Kanwar Nihalde

हमारे लोकगीत एवं साहित्य मिथक घटनाएं नहीं बल्कि जीवंत साक्ष्य हैं। हमारे हरियाणवी लोकगीतों व किस्सों से अतीत का पता चलता है। इसी तरह राजकुमार नर सुलतान और इंद्री की राजकुमारी कंवर निहालदे की अमर प्रेमकथा ( immortal love story ) अतीत एवं वर्तमान के बीच संवाद स्थापित करती है। राजकुमार नर सुल्तान और राजकुमारी कंवर निहालदे की प्रेमकथा हरियाणवी लोकगायन में सदियों से गाई जा रही है।

 



इंद्री राजकुमारी कंवर निहालदे की अमर प्रेम कहानी

Immortal Love Story : सावन की तीज से पहले विरह पर हुई थी प्रेम की वर्षा


 


 

अपने वायदे मुताबिक राजकुमार नर सुलतान सावन की तीज से पहले अपनी अर्धांगिनी कंवर निहालदे से मिलने इंद्री पहुंच गया था अन्यथा वह वियोग में जिंदा जल जाती। सावन के महीने में झूला झूलती महिलाएं राजकुमारी कंवर निहालदे से जुड़े लोकगीत गाती हैं। गांव नगला रोड़ान निवासी महिंद्र भारद्वाज ने किस्सा बताया कि राजकुमार नर सुलतान की परवरिश उसके नानके केलागढ़ (वर्तमान करनाल) में हुई थी।

एक दिन वह घुड़े पर सवार होकर जंगलों में घूमते हुए इंद्री स्थित नौलखा बाग में पहुंचा जहां राजकुमारी कंवर निहालदे अपनी सखियों संग झूला झूल रही थी। राजकुमार ने कंवर निहालदे से मुलाकात की और दोनों की मोहब्बत परवान चढ़ी। दोनों दांपत्य सूत्र में बंध गए। कुछ समय बाद नर सुलतान को अपनी मुंह बोली बहन मरवण के राज्य नरवरगढ़ की सुरक्षा के लिए जाना पड़ा।

 

Immortal Love Story : सावन की तीज से पहले विरह पर हुई थी प्रेम की वर्षा

तब उसने रानी कंवर निहालदे से वायदा किया कि वह 6 वर्ष बाद सावन की तीज से पहले वापस लौट आएगा। कंवर निहालदे पति की राह निहारती रही। मायूस होकर उसने नर सुलतान को संदेश प्रेषित करवाया कि वायदे के मुताबिक समय से नहीं लौटे तो वह जिंदा जल जाएगी। वह इंद्री में शीश महल के समीप चिता पर लेट गई। नर सुलतान तीज से पूर्व इंद्री पहुंचा और उसने समय रहते निहालदे को चिता के ऊपर से ( immortal love story )  खींच लिया।

महिंद्र भारद्वाज ने बुजुर्गों से जो इतिहास सुना उसके बारे में बताया कि किसी जमाने में इंद्री में नौलखा बाग (जिसमें 9 लाख पेड़-पौधे थे) में शीश महल बनवाया था। इंद्री किले से शीश महल तक लंबी सुरंग थी। समीप लगता इंद्रगढ़ गांव भी बाग का हिस्सा था। शीश महल प्राचीन भारतीय वास्तुकला का अद्भुत ( immortal love story ) नमूना है।


Discover more from Haryana News Abtak - हरियाणा न्यूज टूडे - Haryana latest News

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Join Now

Free Haryana News Mobile APP

Download APP Link

Leave a Comment



Contact us: info@haryana-news.in

© 2025 Haryana News. All Rights Reserved.

About Us | Privacy Policy | Contact Us | Disclaimer

Discover more from Haryana News Abtak - हरियाणा न्यूज टूडे - Haryana latest News

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading