Julana CHC Hospital pregnant mahila Shishu Ki maut
Jind News : जींद जिले के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ( julana CHC Hospital ) में प्रसव पीड़ा के दौरान एक गर्भवती महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाते ही कुछ ही देर बाद उसकी और उसके घर में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। महिला और उसके बच्चे की मौत से स्वस्थ कर्मियों में हड़कंप मत गया।
जींद जिले के गांव लजवाना कलां निवासी स्वीटी गर्भ में उसका तीसरा बच्चा पल रहा था। उसके देवर संदीप ने बताया कि उसकी भाभी के बच्चा होने के लिए डॉक्टर ने 27 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की हुई थी। सोमवार की सुबह करीब 11 बजे उसकी भाभी स्वीटी को पेट में ( प्रसव पीड़ा) दर्द होने लगा तो वह उसे डिलीवरी के लिए जुलाना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ( julana CHC Hospital ) लेकर पहुंचे। डॉक्टर ने बताया कि स्वीटी का ब्लड प्रेशर बढ़ गया है।

संदीप के मुताबिक हॉस्टल आने के करीब आधा घंटा बाद डॉक्टर ने स्वीटी को इंजेक्शन दिया और अपने कमरे में चला गया। इंजेक्शन देने के कुछ समय के बाद ही उसके भविष्य बेटे ने कहा कि उसके सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा है तो वह तुरंत ही डॉक्टर के पास पहुंचे और स्वीटी की तबीयत के बारे में बताया। परंतु julana CHC Hospital के डॉक्टर ने उसे नहीं संभाला और कुछ समय के बाद ही उसके मुंह से झाग निकलने लगे जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई। उसकी भाभी की मौत के साथ-साथ उसके गर्भ में पल रहे बच्चे की भी मौत हो गई।

संदीप और उसके परिजनों ने आरोप लगाया कि अगर julana CHC Hospital में कार्यरत डॉक्टर ने समय रहते उसकी भाभी की उचित देखभाल की होती तो आज वह और उसके गर्भ में पल रहा बच्चा जिंदा होते। जुलाना सीएचसी अस्पताल में तैनात डॉक्टर के लापरवाही के कारण उसके 7 साल की बेटी और 3 साल के बेटे के सिर से हमेशा हमेशा के लिए मां का साया उठ गया।
इस संबंध में julana CHC Hospital के सीएमओ डॉ संजीव शर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि प्रसव पीड़ा के चलते महिला को अस्पताल में लाया गया था। कुछ दिन पूर्व ही महिला के दांत का इलाज रोहतक की जैसे करवाया गया था और वहां से दवाइयां चल रही थी जिसकी वजह से उसका ब्लड प्रेशर हाई हो गया। ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने की काफी कोशिश की गई लेकिन वह लगातार बढ़ता गया और दौरा पड़ने से महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई। अस्पताल में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की तरफ से कोयला प्रवाही नहीं बरती गई।
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