पूर्व मंत्री संपत सिंह ने कांग्रेस को कहा अलविदा, नई पार्टी में शामिल होने की अटकलें तेज | Sampat Singh Resigns

By sunilkohar

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हरियाणा के पूर्व मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह ने 16 साल के लंबे अरसे के बाद आखिरकार कांग्रेस को अलविदा कह दिया। कांग्रेस में आने के बाद प्रोफेसर संपत सिंह को हर मोर्चे पर अनदेखी का शिकार होना पड़ रहा था। प्रोफेसर संपत सिंह ने अपना इस्तीफा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेज दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने से नाराज प्रोफेसर संपत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल जयंती के अवसर पर इन लोगों के कार्यक्रम में मंच पर पहुंच गए थे। इसको लेकर कांग्रेस की अनुशासन कमेटी में उनके खिलाफ शिकायत पहुंची थी। ( Haryana politics News )

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के मार्गदर्शन में राजनीति का सफर शुरू करने वाले प्रोफेसर संपत सिंह लगातार पांच बार विधायक एक ही सीट से बने थे। उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत इनेलो परिवार से की थी और वह इनेलो की सरकार के दो कार्यकाल के दौरान कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। इसके अलावा एक बार वह नेता प्रतिपक्ष भी चुने गए थे। लेकिन 2009 के विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने इनेलो को अलविदा कह दिया था और कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे।

 

 

2009 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी उन्हें फतेहाबाद विधानसभा क्षेत्र से टिकट न देकर नलवा विधानसभा क्षेत्र में उतार दिया था। लेकिन उन्होंने विधानसभा क्षेत्र ही नहीं जिला बदलने के बाद भी नलवा विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी। लेकिन भूपेंद्र हुड्डा के दूसरे कार्यकाल में उन्हें ना ही तो मंत्री बनाया गया और ना ही उन्हें संगठन में कोई जिम्मेदारी सौंपी गई। जिसकी वजह से वह स्टेट लेवल के नेता होते हुए भी एक विधानसभा क्षेत्र तक सिमट कर रहे थे। इनेलो पार्टी में उन्हें जो मान सम्मान और इज्जत मिल रही थी वह कांग्रेस में उन्हें नहीं मिली। ( Sampat Singh Resigns News )

प्रोफेसर संपत सिंह ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे अपने त्यागपत्र में बताया कि 2009 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें आश्वासन दिया गया था कि उन्हें फतेहाबाद विधानसभा सीट से चुनाव में टिकट दिया जाएगा। लेकिन उन्हें फतेहाबाद से टिकट न देकर हिसार जिले के नलवा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया और वह छटी बार जीत गए। क्योंकि उनके व्यक्तिगत छवि और उनके द्वारा किए गए विकास कार्य को नलवा हल्के की जनता ने स्वीकार कर लिया था। सीनियारिटी और उनके लगातार चुनाव जीत के बाद भी उन्हें कांग्रेस के दूसरे कार्यकाल में मंत्री पद नहीं मिला और ना ही संगठन में कोई जिम्मेदारी दी गई। जिससे वह केवल एक क्षेत्र तक सीमित रहकर रह गए। जबकि वह स्टेट लेवल की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं।

उन्होंने बताया कि उन्हें फतेहाबाद से टिकट ना देने की कारण कांग्रेस को फतेहाबाद में हर का सामना करना पड़ा। क्योंकि उनके क्षेत्र की जनता में इसको लेकर आक्रोश पैदा हो गया था कि उन्हें यहां से चुनावी मैदान में नहीं उतर गया। लेकिन उनके वर्चस्व के कारण कांग्रेस को कई विधानसभा क्षेत्र में जीत का स्वाद चखने को मिला।

चुनाव के बाद उनकी मुलाकात कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री कुमारी सैलजा से हुई और उन्होंने अपने मंत्रालय से उन्हें अपने क्षेत्र में विकास करवाने के लिए 18 करोड़ रुपए की ग्रांट दी। लेकिन उसके बाद उन्हें हर मोड़ से पर दरकिनार किया गया। सरकार में हिस्सेदारी होने के बावजूद वह केवल अपने विधानसभा क्षेत्र में ही समेत दिए गए और ना ही संगठन में जिम्मेवारी मिलने की वजह से वह प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत न कर पाए। उन्होंने हमेशा अपने और अपने क्षेत्र की जनता के मान सम्मान की लड़ाई लड़ाई है और इसी मान सम्मान की वजह से वह कांग्रेस को छोड़ रहे हैं।

 

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पूर्व मंत्री प्रोफेसर संपत सिंह। ‌

प्रोफेसर संपत सिंह ने हरियाणा न्यूज अब तक से हुई बातचीत में कहा कि अब वह चैन की नींद सोएंगे और आगामी रणनीति के लिए कल से सोचना शुरु करेंगे। अभी किसी पार्टी में शामिल होने का विचार नहीं किया गया है और कांग्रेस छोड़ने का उनका अपना व्यक्तिगत फैसला है।

 

हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि प्रोफेसर संपत सिंह दोबारा से इनेलो में शामिल होकर 4 नवंबर को घर वापसी कर सकते हैं। इन 16 सालों में कांग्रेस में उन्हें जिस तरह से मुंह की खानी पड़ी है वह हमेशा इसे याद करते हुए इनेलो पार्टी में मिले मान सम्मान को हमेशा याद करते रहे हैं। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि वह किस पार्टी में शामिल होते हैं और वहां पर उन्हें क्या मान सम्मान मिलता है इसका पता तो आने वाला समय ही बता पाएगा।


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