बच्चों के स्कूल में दाखिला करवाने से पहले अभिभावक परखें ये बातें ? कहीं आप भी तो नहीं कर रहे अपने बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ ?

By sunilkohar

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What things should parents pay attention to before enrolling their children in school?

स्कूल में दाखिला करने से पहले माता-पिता को क्या ध्यान देना चाहिए?

जब भी माता-पिता अपने बच्चे को किसी स्कूल में दाखिला दिलाने के बारे में सोचते हैं, यह निर्णय उनके बच्चे के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाता है। सही स्कूल चुनना न केवल शिक्षा के लिए, बल्कि बच्चे के समग्र विकास के लिए भी बेहद अहम है। माता-पिता को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि उनका बच्चा सही वातावरण में बढ़ सके और अच्छे अनुभव प्राप्त कर सके। क्योंकि आज के युग में काफी बिना मान्यता प्राप्त के निजी स्कूल धडेले से चल रहे हैं और प्रशासन आंख बंद कर सारा नजारा देख रहा है। जिससे छात्रों के भविष्य के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ होना आम बात हो गई है।

शिक्षण स्तर और पाठ्यक्रम

स्कूल का पाठ्यक्रम और शिक्षा गुणवत्ता बच्चे के भविष्य का आधार होती है। इसलिए, स्कूल के पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धतियों को समझना ज़रूरी है। इसके लिए स्कूल में अनुभवी अध्यापकों का होना बहुत ही जरूरी होता है लेकिन काफी निजी स्कूल संचालक अध्यापकों पर ज्यादा खर्च न करके कम वेतन वाले अध्यापकों को रख लेते हैं जिससे छात्रों की पढ़ाई तो बाधित होती है साथी आगे चलकर भविष्य में उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा अभिभावकों को यह देखना चाहिए कि कहीं निजी स्कूल संचालक उनके ऊपर और बच्चों को कोई प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें तो नहीं थोप रहे। क्योंकि सरकार के नियमों के मुताबिक सभी स्कूलों में चाहे वह सरकारी हो या गैर सरकारी उनमें ncert अप्रूव्ड किताबें ही पढ़ाई जानी अनिवार्य है। लेकिन कुछ नहीं जी स्कूल संचालक अपने मुनाफे के लिए प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबें लागू कर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।

अकादमिक प्रोग्राम्स

स्कूल कौन-कौन से अकादमिक प्रोग्राम्स प्रदान करता है? क्या यह राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय पाठ्यक्रम को फॉलो करता है? CBSE, HBSE, ICSE, IB, या किसी अन्य बोर्ड से संबद्ध है? इन सवालों के जवाब खोजें। इसके अलावा, पाठ्यक्रम में प्रैक्टिकल और क्रिएटिव अध्यापन का समावेश कितना है, यह देखना भी जरूरी है। क्योंकि आज के जमाने में काफी निजी स्कूल संचालक अपने मनमर्जी बताते हुए स्कूल को बिना मान्यता के भी धडेले से चला रहे हैं। माय सेकंड स्कूल ऐसे भी हैं जिनके पास मानता तो आठवीं कक्षा तक की होती है लेकिन स्कूल में दाखिले 10वीं और 12वीं कक्षा तक के कर लेते हैं जो कि छात्रों के भविष्य के साथ एक बहुत बड़ा खिलवाड़ है। इसके अलावा कुछ स्कूल छोटे-छोटे बंद कमरे में चलाए जा रहे हैं यह भी छात्रों के साथ एक तो बड़ा खिलवाड़ करने वाला मामला है।

शिक्षकों की योग्यताएँ

शिक्षकों की गुणवत्ता बच्चे की शिक्षा में बहुत बड़ा अंतर बना सकती है। शिक्षकों की योग्यता, अनुभव और उनके टीचिंग स्टाइल के बारे में जानकारी प्राप्त करें। एक अच्छे शिक्षक का होना बच्चे के आत्मविश्वास और सीखने की क्षमता को बढ़ाता है। शिक्षकों की योग्यता माता-पिता इस बात से लगा सकते हैं कि स्कूल का पिछला रिकॉर्ड कैसा रहा है इसके लिए अभिभावकों को स्कूल के पिछले बोर्ड कक्षाओं का रिकॉर्ड देखना चाहिए। माता-पिता को एक दो वर्ष का रिजल्ट देखकर इसका आकलन नहीं करना चाहिए बल्कि इसके लिए स्कूल का लंबा चौड़ा इतिहास और रिजल्ट देखना उनके लिए बेहद जरूरी है।

स्कूल का वातावरण

स्कूल का वातावरण केवल अकादमिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। इसलिए आपको देखना होगा कि स्कूल का वातावरण केवल किताब भी ज्ञान ही नहीं बल्कि अच्छे संस्कार देने वाला भी होना चाहिए। बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाने से पहले उसे स्कूल के अंदर पहले हुई गतिविधियों पर भी माता-पिता को एक बार ध्यान देना चाहिए कि कहीं उसे स्कूल में कोई पहले अपराधी घटना तो नहीं घटी हुई।

विद्यालय की संस्कृति

स्कूल की संस्कृति कैसी है? क्या स्कूल में बच्चों को प्रतिस्पर्धा, सहयोग, और टीमवर्क सिखाया जाता है? स्कूल की मूल्य प्रणाली और नैतिक शिक्षा बच्चों को जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करती है। अभिभावकों को स्कूल के अंदर स्कूल की संस्कृति के साथ-साथ स्कूल के अध्यापकों और अन्य स्टाफ का भी आकलन करना चाहिए कि वह स्कूल में आपस में किस तरीके से रहते हैं। उनकी स्कूल और घर के अंदर कार्य प्रणाली छात्रों को प्रेरित करने वाली है या छात्रों को गुमराह करने वाली यह भी अभिभावकों के लिए जरूरी हो जाता है।

विवर्तन और व्यवहार प्रबंधन

स्कूल में बच्चों के अनुशासन और व्यवहार को कैसे प्रबंधित किया जाता है? वहां पर किस प्रकार की दंड प्रणाली है? एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण स्कूल को बच्चों के लिए सुखद बनाता है। स्कूल में काम न करने पर बच्चों को दंड किस तरीके से दिया जाता है यह भी अभिभावकों को आज के युग में देखना अति महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि काफी स्कूलों में देखने को आता है की अध्यापकों का पारा चढ़ जाने की वजह से वह छात्रों को इस कदर प्रताड़ित करते हैं कि कई बार छात्र की जिंदगी पर आन पड़ती है।

सुरक्षा और स्वास्थ्य मानक

स्कूल की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएँ अच्छे अनुभव को सुनिश्चित करती हैं।

सुरक्षा प्रोटोकॉल

स्कूल किस प्रकार के सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करता है? क्या स्कूल में CCTV कैमरा, सिक्योरिटी गार्ड और इमरजेंसी प्लानिंग है? आपातकालीन परिस्थितियों में स्कूल की तैयारी कितनी प्रभावी है, इसकी जाँच करें। स्कूल में ट्रांसपोर्ट की क्या व्यवस्था है और उसमें क्या बच्चों को स्कूल लाने ले जाने के लिए प्रयोग की जा रही बसें स्कूल के नियमों और ट्रैफिक नियमों को पूरा करते हुए फिट हैं या नहीं इसका भी ध्यान देना अनिवार्य होता है साथ ही उन स्कूल बसों और वनों पर अनुभवी बस चालक और अनुभवी ही परिचालक है भी या कोई राह चलता कभी कोई तो कभी कोई उसे स्कूल के बस को चला लेता है। यह भी देखने वाली बात है क्योंकि आए दिन सुकून बेसन के साथ हादसे सामने आते रहते हैं।

स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाएँ

स्कूल के पास क्या मेडिकल फैसिलिटी उपलब्ध है? क्या वहां पर फुल-टाइम नर्स या डॉक्टर होते हैं और बच्चों के लिए नियमित हेल्थ चेकअप आयोजित किए जाते हैं? इन सवालों के जवाब बच्चों की सेहत के लिए अहम हैं।

अतिरिक्त गतिविधियाँ और समर्थन

एक अच्छे स्कूल में केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि अतिरिक्त गतिविधियों और सहायता सेवाओं का अच्छा समायोजन होना चाहिए।

अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियाँ

क्या स्कूल में खेल, कला, नृत्य, संगीत और अन्य गतिविधियों का प्रावधान है? बच्चा अपनी रुचियों और हुनर को निखार सके, इसके लिए स्कूल में अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों का होना जरूरी है।

परिवारों के लिए समर्थन सेवाएँ

स्कूल माता-पिता के लिए किस तरह की सुविधाएँ और सपोर्ट सर्विसेस प्रदान करता है? क्या स्कूल में पैरेंट-टीचर मीटिंग्स नियमित रूप से आयोजित होती हैं और क्या स्कूल खुलकर माता-पिता से संवाद करता है? क्या बच्चे के अनुपस्थित रहने पर स्कूल से माता-पिता से संवाद किया जाता है कि आपका बच्चा स्कूल से गैर हाजिर क्यों हुआ? इसके अलावा बच्चों के पढ़ाई में रुचि खेलों में रुचि के प्रति भी अध्यापकों और अभिभावकों के बीच बीच में संवाद होने की संभावनाएं तलाशनी चाहिए। ‌

अभिभावकों को इस बात पर ध्यान देने की खास जरूरत

अभिभावकों को सबसे पहले इस बात की जांच पर करनी चाहिए कि वह जिस स्कूल में अपने बच्चों का दाखिला करवाने के लिए जा रहे हैं क्या उस स्कूल के बच्चे स्कूल से छूटने के बाद किसी कोचिंग सेंटर या ट्यूशन सेंटर पर तो नहीं जा रहे। क्योंकि शहरों में देखा जाता है कि शुक्ला में दाखिले के समय अभिभावकों के साथ आगे स्कूल में फैसिलिटी की लंबी चौड़ी लिस्ट पेश कर दी जाती है और उनसे मोटी फीस वसूल लेते हैं लेकिन शिक्षा के नाम पर स्कूल में केवल सफेद हाथी नजर आता है जिसके बाद अभिभावकों को मजबूरन अपने बच्चों को कोचिंग सेंटर या ट्यूशन पर भेजना पड़ता है। जिसके कारण अभिभावकों पर दोहरी मार पड़ती हुई दिखाई पड़ती है। इसलिए अभिभावकों को अपने बच्चों का स्कूल ऐडमिशन ऐसे स्कूलों में करवाना चाहिए जिसमें स्कूल में ही एक अच्छी शिक्षा अच्छे संस्कार और अच्छी सुविधा मिले और उसे घर आने के बाद किसी कोचिंग सेंटर या ट्यूशन वाले टीचर की जरूरत ना पड़े।

निष्कर्ष

बच्चे के लिए सही स्कूल चुनने का फैसला जल्दीबाजी में नहीं करना चाहिए। माता-पिता को स्कूल के हर पहलू को अच्छी तरह से समझना चाहिए, जिसमें शिक्षा प्रणाली, सुरक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएँ और अतिरिक्त गतिविधियाँ शामिल हों। एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाकर और पर्याप्त जानकारी जुटाकर, आप अपने बच्चे के लिए सबसे उपयुक्त स्कूल का चयन कर सकते हैं। याद रखें, आपका यह फैसला उनके भविष्य के लिए एक मजबूत नींव का काम करेगा।

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