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चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय, जींद के कुलपति प्रो सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में विधि विभाग द्वारा “वन नेशन, वन इलेक्शन” विषय पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों एवं शिक्षकों को देश में एक साथ चुनाव कराने की अवधारणा से अवगत कराना तथा इस पर विस्तृत संवाद स्थापित करना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यातिथि संगठन महामंत्री भाजपा फणीन्द्र नाथ शर्मा, विशिष्ठ अतिथि प्रो मदन मोहन, प्रदेश संयोजक विजयपाल, जिला अध्यक्ष तेजेंद्र ढुल, जिला संयोजक सुरेन्द्र धवन, कुलसचिव प्रो लवलीन मोहन, प्रो कुलदीप नारा ने माँ सरस्वती के सामने दीप प्रज्वलित कर किया|
मुख्यातिथि संगठन महामंत्री भाजपा फणीन्द्र नाथ शर्मा ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, व्यावहारिक पक्षों और संवैधानिक जटिलताओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि 1952 से 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन बाद में यह प्रक्रिया टूट गई। उन्होंने इस विचार को लोकतंत्र में पारदर्शिता और स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया।
विशिष्ठ अतिथि प्रो मदन मोहन गोयल, पूर्व कुलसचिव इंदिरा गांधी यूनिवर्सिटी, मीरपुर व डॉ बी आर अम्बेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी सोनीपत ने “वन नेशन, वन इलेक्शन” को लेकर बताया कि कैसे बार-बार चुनावों से प्रशासन, समय और संसाधनों पर भार बढ़ता है और इसे कम करने के लिए एक साथ चुनाव कराने की परिकल्पना की गई है।
वन नेशन, वन इलेक्शन के प्रदेश संयोजक विजयपाल ने बताया कि हर चुनाव में हजारों करोड़ रुपये खर्च होते हैं। अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ हों, तो इन खर्चों में भारी कटौती संभव है। हर चुनाव में लाखों सरकारी कर्मचारी और सुरक्षाबल चुनाव ड्यूटी पर लगाए जाते हैं, जिससे सामान्य प्रशासनिक कार्य बाधित होते हैं। बार-बार चुनाव के कारण बार-बार आदर्श आचार संहिता लागू होती है, जिससे विकास कार्य रुक जाते हैं। एक साथ चुनाव होने से यह समस्या खत्म हो जाएगी।
भाजपा जिला अध्यक्ष तेजेंद्र ढुल ने कहा कि जब एक साथ चुनाव होंगे, तो मतदान प्रतिशत बढ़ सकता है क्योंकि लोग एक ही बार में सभी चुनावों में हिस्सा लेंगे। बार-बार चुनाव होने से हर समय चुनावी माहौल बना रहता है, जिससे नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं। एक साथ चुनाव होने से सरकार पूरे कार्यकाल में स्थिरता से काम कर सकेगी। लगातार चुनावों के कारण राजनीतिक दलों में तीखी बयानबाजी होती है। एक साथ चुनाव होने से प्रचार सीमित होगा और अधिक सकारात्मक संवाद हो सकता है।
कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव प्रो लवलीन मोहन ने उपस्थित सभी गणमान्य जन, शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक व विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार का आयोजन छात्रों को न केवल चुनावी प्रणाली की जटिलताओं से अवगत करवाना है, बल्कि उन्हें देश के लोकतांत्रिक सुधारों पर सोचने और संवाद करने का मंच भी प्रदान करवाना है।
इस कार्यक्रम में मंच संचालन का कार्य डॉ सुमन पुनिया के द्वारा किया गया| इस अवसर पर एन सी सी केडेट्स प्रीती और मानसी ने पायलटिंग की तथा अंजली, ख़ुशी व अंशु ने दीप प्रज्वलन में सहायता की|