Bisla Hospital narnaund Eye checkup camp
आंखें हमारे शरीर का अभिनंदन है और आंखों के बिना यह रंगीन दुनिया बिल्कुल अंधेरी है। इसलिए हमें अपनी आंखों की उचित देखभाल करनी चाहिए और समय-समय पर आंखों के डॉक्टर से उनकी नियमित रूप से जांच करवानी चाहिए। ताकि हम आखरी सांस तक अपनी आंखों से इस संसार के नजरों को लूट सकें। उक्त बातें निशुल्क आंखों के जांच कैंप के दौरान डॉक्टर जगदीश बिसला ने Eye checkup camp ( कैंप ) में आए लोगों को संबोधित करते हुए कहे।
फ़्री आंखों का चैकअप कैंप

बिसला आंखों का अस्पताल नारनौंद ( Bisla Hospital Narnaund ) की तरफ से गांव-गांव फ्री आंखों के चैकअप कैंप के लगाए जा रहे हैं । इन मेडिकल कैंप को लेकर ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। डॉ जगदीश मिश्रा के मुताबिक गांव राजपुरा में लगाए गए आंखों के फ्री मेडिकल जांच कैंप में करीब 100 लोगों ने अपनी आंखों की जांच करवाई। जिनमें से सबसे ज्यादा आंखों की दिक्कत छोटे बच्चों में पाई गई। इसके अलावा बुजुर्ग लोगों की आंखों में मोतियाबिंद, दूर की दृष्टि का काम होना, नजदीक का काम दिखाना सहित अन्य दिखाते पाई गई।
बिसला आंखों का अस्पताल द्वारा फ्री में आंखों का चैकअप व दवाईयां वितरिण
इस मेडिकल कैंप में आए अधिकतर मरीजों को Bisla Eye Hospital Narnaund की तरफ से फ्री में आंखों की दवाई उपलब्ध करवाई गई और जिन लोगों की आंखों में कोई दिक्कत परेशानी है उनको अस्पताल रेफर किया गया है। ताकि हॉस्पिटल में आधुनिक मशीनों के द्वारा उनकी आंखों की जांच करके उनका सही तरीके से उपचार किया जा सके।
बिना चीर फाड़, बिना इंजेक्शन के आंखों का ऑपरेशन

बिसला आई हॉस्पिटल नारनौंद के आई सर्जन डॉक्टर जगदीश बिसला ने बताया कि बिसला आई हॉस्पिटल में आने वाले तमाम मरीज की आंखों की जांच बिल्कुल फ्री में की जाती है और आधुनिक तरीके से ही मरीजों के बिना चीर फाड़, बिना इंजेक्शन, बिना टांके के ऑपरेशन करके आधुनिक लेंस लगाए जाते हैं। जिससे आंखों की रोशनी बेहतर रहे और लोगों को पहले की तरह दूर और नजदीक का दिखाई दे।
डॉ बिसला ने कहा कि ग्रामीण अंचल के लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर काफी लापरवाह होते हैं। छोटी छोटी दिक्कत होने पर वो डॉक्टर के पास नहीं जाते, इस लापरवाही की वजह से छोटी सी बिमारी एक दिन नासूर बन जाती है। खेतों में लगातार काम करने धूल मिट्टी, धूल कण, गिर्द, धुंआ से परहेज न कर पाने के कारण उनकी आंखों में दिखाई देने की काफी समस्या हो जाती है लेकिन समय पर सही उपचार न मिलने के कारण वह 50 की उम्र पार करने के बाद दिखाई ना पड़ने की वजह से चारपाई पर बैठ जाते हैं।
डॉक्टर जगदीश बिसला ने बताया कि उनका और उनके Bisla Hospital Narnaund का मुख्य मकसद ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करके निस्वार्थ भावना से उनकी सेवा करना है। ताकि कोई भी ग्रामीण आंखों की रोशनी जाने की वजह से चारपाई ना पकड़ ले और दूसरों के सहारे के भरोसे ना रहे। उन्होंने कहा कि लोगों को समय-समय पर अपनी आंखों की जांच करवानी चाहिए और घर पर भी डॉक्टर के कहे मुताबिक आंखों के नियमित देखभाल करनी चाहिए ताकि जीवन के आखिरी पड़ाव तक हम अपनी आंखों से इस संसार के नजरे लूट सके।

इस मेडिकल कैंप में आए मोतियाबिंद सहित जिन आंखों में अधिक कमजोरी पाई गई उन लोगों के ऑपरेशन करने के लिए Bisla Eye Hospital Narnaund रेफर किया गया है। उन लोगों के ऑपरेशन बिसला हॉस्पिटल में वीरवार और रविवार को किए जाएंगे। ऑपरेशन करने के कुछ ही मिनट के बाद मरीज को छुट्टी देकर घर भेज दिया जाएगा और मरीज को ऑपरेशन के बाद मात्र कुछ ही परहेज दिए जाएंगे।
डॉ जगदीश मिश्रा ने बताया कि बच्चों को अपना कीमती समय अपनी पढ़ाई और खेलों की तरफ लगाना चाहिए। आज काफी बच्चे थोड़ा सा समय मिलने पर मोबाइल में गेम खेलने व अन्य कार्यों में लगा रहे हैं जिससे उनकी आंखों की रोशनी लगातार कम हो रही है। अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को मोबाइल कम से कम दें। आजकल अक्सर देखने में आ रहा है कि महिलाएं अपने छोटे बच्चों को खेल लगाने के लिए भी उन्हें मोबाइल थमा देते हैं जो कि उनके लिए बहुत ही घातक है।
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