Drinking water crisis deepens in Haryana : पानी के मुद्दे पर पंजाब-हरियाणा में संग्राम, जल संकट बना सियासी

By sunilkohar

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Drinking water crisis deepens in Haryana, Congress leaders target BJP

पेयजल किल्लत को लेकर भूपेंद्र हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला ने भाजपा सरकार को घेर

हरियाणा में पीने का पानी का संकट लगातार ( Drinking water crisis deepens in Haryana )गहराता जा रहा है। पंजाब हरियाणा के हिस्से का पानी छोड़ने को तैयार नहीं है और हरियाणा सरकार अभी तक पत्राचार करने में लगी हुई है। लेकिन गांव और शहरों में पीने की पानी की किल्लत को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। काफी जगह हूं पर तो इतना दूषित पानी की सप्लाई दी जा रही है कि उसे कोई पशु भी ना पिए। इसी को लेकर हिसार जिले के गांव डाटा में भी ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी भाजपा सरकार पर जमा कर निशाना साधा।

बीजेपी सरकार हरियाणा के हिस्से का पानी लेने में पूरी तरह विफल साबित हुई है। बीजेपी सरकार के नकारेपन की वजह से प्रदेश के लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। जल बंटवारे के मुद्दे पर सरकार सर्वदलीय बैठक और विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए व पंजाब सरकार पर दबाव बनाए। उक्त बातें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही।

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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पेयजल किल्लत को लेकर पत्रकारों से बातचीत करते हुए।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय प्रदेश को अपने हिस्से का पूरा पानी मिलता था। क्योंकि भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड में हरियाणा से तीन-तीन सदस्यों के साथ पूरी भागीदारी सुनिश्चित की जाती थी। जिसमें विशेष तौर पर सिंचाई विभाग के अधिकारी को BBMB का सदस्य नियुक्त किया जाता था। साथ ही कांग्रेस सरकार ने बोर्ड में लगातार SDO और जूनियर इंजीनियर्स की नियुक्तियां की थीं।

BBMB में SE (सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर) हरियाणा से होना चाहिए। उसे भी बीजेपी सरकार नियुक्त नहीं करा पाई। जब हरियाणा के लोग ही बोर्ड में नहीं होंगे तो प्रदेश के अधिकार की बात कौन करेगा।

 

 

मोदी सरकार व पंजाब सरकार ने मिलकर हरियाणा को ‘जल संकट’ में धकेला : रणदीप सुरजेवाला

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस महासचिव एवं सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला ने हरियाणा की भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री नायब सैनी पर हमला बोलते हुए कहा कि हरियाणा प्रदेश भयंकर जल संकट से त्राहिमाम है। भाखड़ा का पानी 8,500 क्यूसेक से घटाकर 4,000 क्यूसेक कर दिया गया है। 01 नवंबर, 1966 को हरियाणा के गठन के बाद पहली बार इतना भयंकर ‘जल संकट’ पैदा हुआ है।

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रणदीप सुरजेवाला ने हरियाणा के इस अप्रत्याशित जल संकट के कुछ परिणाम बताते हुए कहा कि पूरे हरियाणा में पेय जल की भी किल्लत है। खासतौर से कैथल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, जींद, फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, रोहतक में तो बूंद-बूंद पीने के पानी के लिए भी लोग तरस रहे हैं।

 

 नायब सैनी हरियाणा के हितों की रक्षा में ‘फेल’ और ‘नाकाम’, BBMB बिजली मंत्रालय के अधीन खट्टर हरियाणा के हितों हेतु कार्यवाही क्यों नहीं करते

उन्होंने कहा कि कैथल में 1,350 क्यूसेक पानी आता था, पर अब घटकर केवल 400 क्यूसेक की सप्लाई हो रही है। हिसार में बरवाला लिंक नहर में 1,500 क्यूसेक पानी की बजाय केवल 350 क्यूसेक पानी की सप्लाई है। फतेहाबाद में केवल 900 क्यूसेक पानी पहुँच रहा है। अंबाला में 2,800 क्यूसेक पानी के मुकाबले अब केवल 1,200 क्यूसेक पानी आ रहा है। लोग प्यास से तड़प रहे हैं। पूरे प्रदेश में टैंकर माफिया हावी है और 1,000 रुपया प्रति टैंकर के हिसाब से वसूली हो रही है। लगभग सभी जल घर सूख चुके हैं या सूखने की कगार पर हैं। भाजपा सरकार व अधिकारियों को यह मालूम ही नहीं कि पानी की सप्लाई कब तक आएगी। भीषण गर्मी में गाँव के तालाब भी लगभग सूख गए हैं और मवेशी प्यासे मरने की कगार पर खड़े हैं।

सुरजेवाला ने कहा कि इतने भारी जल संकट के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान व हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी केवल बयानबाजी और एक दूसरे को चिट्ठी लिखने में व्यस्त हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के सिर पर सत्ता का नशा चढ़कर बोल रहा है, तो नायब सैनी, जो अक्सर सायकल पर फोटो खिंचवाने में व्यस्त रहते हैं, को समझ ही नहीं आ रहा कि हरियाणा को जलसंकट से उबारने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिस रहे हैं हरियाणा के भोले-भाले लोग। भगवंत मान की जिद और सत्ता का नशा तथा नायब सैनी का फेलियर व नासमझी दोनों प्रांतों में एक गैरजरूरी टकराव की स्थिति पैदा कर रहा है। आज जब पूरा देश आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा है, तो पंजाब व हरियाणा में टकराव की स्थिति दोनों प्रांतों के साथ-साथ राष्ट्रहित के विपरीत है। दोनों मुख्यमंत्रियों पर हिंदी की यह कहावत सिद्ध होती है ‘नीम हकीम, खतरा-ए-जान’ ।

उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने हरियाणा में हो रहे जलसंकट तथा दोनों प्रांतों में पैदा हो रहे टकराव को लेकर पूरी तरह से आँख मूंद ली है और जिम्मेवारी से पल्ला झाड़ लिया है। मोदी सरकार व उसके बिजली मंत्री मनोहर लाल खट्टर व सिंचाई मंत्री सी. आर. पाटिल ने दोनों प्रांतों को लड़ने और मुख्यमंत्रियों के इस टकराव में हरियाणा की जनता को खुद भुगतने के लिए बेहाल छोड़ दिया है। असल में इस सारे संकट के पैदा होने में मोदी सरकार का ही सबसे बड़ा हाथ है।

सुरजेवाला ने कहा कि भाखड़ा नंगल डैम का संचालन “भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (बीबीएमबी) के द्वारा किया जाता है, जिसका गठन भारत सरकार द्वारा किया गया है। इस परियोजना में पंजाब व हरियाणा की पानी तथा बिजली में हिस्सेदारी है। बीबीएमबी बोर्ड में चेयरमैन की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। साल 1963 में डैम के निर्माण से साल 2022 तक, यानी 59 साल तक भाखड़ा डैम में मेंबर (इरीगेशन) हरियाणा द्वारा नामित किया जाता था तथा मेंबर (पॉवर) पंजाब द्वारा नामित किया जाता था। 23 फरवरी, 2022 को, मोदी सरकार द्वारा भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड रूल्स, 1974 में संशोधन कर यह सारे अधिकार केंद्र सरकार ने ले लिए। इन रूल्स की प्रतिलिपि संलग्नक A1 संलग्न है।

 

बोले : नीम हकीम, खतरा-ए-जान हरियाणा व पंजाब के मुख्यमंत्रियों की यही असलियत

उन्होंने कहा कि बीबीएमबी में हरियाणा के अधिकारी फरवरी 2025 तक सचिव, बीबीएमबी थे। हरियाणा सरकार ने पत्र लिख श्री मनोहर लाल खट्टर, बिजली मंत्री, भारत सरकार से अनुरोध किया कि यह एक साल और बढ़ा दिया जाए। मनोहर लाल खट्टर ने नायब सैनी की यह मांग ठुकरा दी। हरियाणा सरकार ने भारत सरकार के बिजली मंत्रालय को बाकायदा एक फाईल भेज रखी है, कि सिंचाई विभाग के ईआईसी को बीबीएमबी के मेंबर (इरीगेशन) टेंपरेरी का कार्यभार दे दिया जाए। श्री मनोहर लाल खट्टर के बिजली मंत्रालय ने आज तक उसे भी मंजूरी नहीं दी। जब हरियाणा के अधिकारी ही नहीं होंगे, न मेंबर (इरीगेशन) होगा, न सचिव बीबीएमबी को एक्सटेंशन देंगे और न ही हरियाणा के अधिकारी को बीबीएमबी में टेंपरेरी चार्ज देंगे, तो हरियाणा के हितों की रक्षा कौन करेगा? नायब सैनी चुप्पी साधे हैं और मनोहर लाल खट्टर का बिजली मंत्रालय तथा मोदी सरकार हरियाणा के हितों को लेकर पूरी तरह से उदासीन है।

सुरजेवाला ने कहा कि सरदार भगवंत मान की झूठी हठधर्मिता व ‘कैकेयी’ की तरह की जा रही जिद न तो किसी कानूनी अधिकार पर टिकी है और न ही किसी समझौते के आधार पर। भाखड़ा डैम परियोजना में हरियाणा का लगभग 32 प्रतिशत हिस्सा है और उसे 4.4 मिलियन एकड़ फुट पानी मिलना चाहिए।भाखड़ा डैम परियोजना में 21 मई से 20 सितंबर तक का समय, ‘डैम वॉटर फिलिंग पीरियड’ माना जाता है। 21 सितंबर से 20 मई तक का समय ‘डैम वॉटर डिप्लीशन पीरियड’ माना जाता है। अक्सर बर्फ मई के शुरू में ही पिघल जाए, तो पानी पहले ही आना शुरू हो जाता है। भाखड़ा डैम में इस समय 1,556 फीट पानी है। डैम का पानी मापदंडों के अनुसार 1,506 फीट तक जा सकता है। अगर हरियाणा को हर रोज 8500 क्यूसेक पानी दे दिया जाए, तो 21 मई तक डैम की मौजूदा वॉटर लेवल 1556 फीट से 1532 फीट तक ही पहुँचेगा। यानी तब भी डैम के निर्धारित मिनिमम वॉटर लेवल, जो 1506 फीट है, उससे 26 फीट ऊपर पानी रहेगा। पानी छोडने का निर्णय भारत सरकार के बिजली मंत्रालय यानी बीबीएमबी बोर्ड का है। यह निर्णय पंजाब व हरियाणा की सरकारों का नहीं हो सकता। पंजाब को केवल यह अधिकार है कि वह अपने हिस्से का पानी ले ले, श्री भगवंत मान हरियाणा के हिस्से के पानी का निर्णय नहीं कर सकते। यह निर्णय बीबीएमबी बोर्ड का है।

उन्होंने कहा कि बीबीएमबी बोर्ड की टेक्निकल कमिटी ने 23 अप्रैल, 2025 को हरियाणा को 8,500 क्यूसेक पानी देने का निर्णय लिया है। तो फिर पंजाब के सिंचाई सचिव 28 अप्रैल को व पंजाब के मुख्यमंत्री, श्री भगवंत मान को बयान देकर हरियाणा को पानी देने से इंकार करने का कोई औचित्य नहीं है और न ही ऐसा कोई अधिकार है। भाखड़ा डैम से छोड़े जाने वाला पानी नंगल हाईडल चैनल से गुजरता है, जो रोपड़ तक बीबीएमबी के अधीन है। उसके बाद यह पानी ‘भाखड़ा मेन लिंक चैनल’ (बीएमएल चैनल) के माध्यम से पंजाब से निकलकर हरियाणा तक पहुँचता है। श्री भगवंत मान को बीएमएल चैनल से हरियाणा तक पानी ले जाने को रोकना गैरकानूनी भी है और असंवैधानिक भी। भगवंत मान और पंजाब सरकार का यह निर्णय अराजकता फैलाने वाला है, जिसे स्वीकार किया नहीं जा सकता। यह सीधे-सीधे दादागिरी है।

सुरजेवाला ने कहा कि भारत सरकार मौन क्यों है? बीबीएमबी बोर्ड भारत सरकार का है। यह बिजली मंत्रालय के अधीन है, जिसके मंत्री, श्री मनोहर लाल खट्टर हैं। तो वह हरियाणा की जायज मांगों को मानकर हरियाणा के हितों की रक्षा क्यों नहीं कर रहे? भारत सरकार व बिजली मंत्रालय ने कानून बदलकर हरियाणा का बीबीएमबी में मेंबर (इरीगेशन) नियुक्त करने का अधिकार क्यों खत्म कर दिया? भारत सरकार व बिजली मंत्रालय ने हरियाणा के अधिकारी को, जो सचिव, बीबीएमबी के पद पर नियुक्त थे, उन्हें एक्सटेंशन देने से इंकार क्यों कर दिया? भारत सरकार व बिजली मंत्रालय ने हरियाणा के ईआईसी को बीबीएमबी के मेंबर (इरीगेशन) का प्रभार क्यों नहीं दिया? मुख्यमंत्री नायब सैनी आज तक मनोहर लाल खट्टर से क्यों नहीं मिले और हरियाणा के हितों की रक्षा की गुहार क्यों नहीं लगाई? नायब सैनी ने बीबीएमबी में हरियाणा के अधिकारों को खत्म करने वाले कानूनों का विरोध क्यों नहीं किया? नायब सैनी बीबीएमबी से हरियाणा के हक का पानी क्यों नहीं दिलवा पा रहे?

सुरजेवाला ने भाजपा सरकार से मांग करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले 24 घंटों में ही पंजाब व हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाएं, जिसमें भारत सरकार के बिजली व सिंचाई मंत्री भी बुलाए जाएं। प्रधानमंत्री हरियाणा के हक का 8,500 क्यूसेक पानी बीबीएमबी से हरियाणा को दिलवाएं। प्रधानमंत्री मोदी पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान व पंजाब सरकार को स्पष्ट हिदायत दें कि वो हरियाणा के पानी को ले जाने में कोई अवरोध न डालें। जरूरत हो तो भारत सरकार संविधान के आर्टिकल 257 में जरूरी हिदायत जारी करे।

वहीं मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के जल वितरण बयान को आश्चर्यजनक बताया। कहा—26 अप्रैल को उन्होंने खुद श्री मान को फोन कर बताया था कि BBMB की टेक्निकल कमेटी ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान को पानी छोड़ने का जो फैसला लिया था, उस पर पंजाब के अधिकारी अमल नहीं कर रहे।

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हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखा गया पत्र।

सैनी ने कहा कि मान ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वे तुरंत अधिकारियों को निर्देश देकर अगले दिन सुबह तक उन द्वारा क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे। लेकिन 27 अप्रैल दोपहर 2 बजे तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हरियाणा अधिकारियों के कॉल्स तक नहीं उठाए गए। इसके बाद उन्हें पत्र भेजा गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वे हैरान हैं कि 48 घंटे तक उनके पत्र का जवाब देने की बजाय मान ने एक वीडियो जारी करके पंजाब में अपनी राजनीति चमकाने के लिए तथ्यों को दरकिनार करते हुए देश की जनता को भ्रमित करने का ओछा प्रयास किया है।


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