Hisar Advocate Mohit 20000 matchbox collection story
11 साल से कर रहे कलेक्शन, कहते हैं कि माचिस सिर्फ आग नहीं, संदेश भी देती है
Hisar matchbox collection story
जब लोग नए शहरों में घूमने जाते हैं तो वहां के मशहूर व्यंजन या ऐतिहासिक स्थल देखने का शौक रखते हैं। लेकिन हिसार की डिफेंस कॉलोनी निवासी एडवोकेट मोहित चौधरी का जुनून कुछ अलग है। 33 वर्षीय मोहित जहां भी जाते हैं, वहां की माचिस ढूंढते हैं। पिछले 11 सालों में वे अब तक 20 हजार से ज्यादा माचिस की डिब्बियां अपनी संग्रहशाला में जोड़ चुके हैं।
खुद को Advocate Mohit के साथ फिलुमिनिस्ट (यानी माचिस संग्रहकर्ता) बताते हुए मोहित कहते हैं कि शौक तो शौक है, और इसे जिंदा रखना हर किसी के लिए जरूरी है। माचिस सिर्फ आग जलाने का साधन नहीं, यह समाज को संदेश देने का माध्यम भी है।
मोहित बताते हैं कि उनका यह शौक चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी से शुरू हुआ। वहां पढ़ाई के दौरान कई फिलुमिनिस्ट उनसे माचिस मंगवाते थे। धीरे-धीरे यह रुचि शौक में और शौक जुनून में बदल गया। आज उनके पास भारत ही नहीं, कई विदेशी माचिस भी संग्रहित हैं।

Advocate Mohit के मुताबिक, कई माचिस देशभक्ति का संदेश देती हैं, कई में भारतीय संस्कृति की झलक होती है तो कई सेना को सम्मान देने के लिए बनाई जाती हैं। इन संदेशों को पढऩा और सहेजना उन्हें संतोष देता है। उनका कहना है कि पंजाब में माचिस की वैरायटी बहुत कम है, जबकि हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में कई तरह की माचिसें आसानी से मिल जाती हैं।

मैचबॉक्स एक्सचेंज इंडिया ग्रूप भी करता है मदद
Advocate Mohit ने बताया कि देशभर के फिलुमिनिस्ट ने फेसबुक पर मैच बॉक्स एक्सचेंज इंडिया नाम से एक ग्रूप भी बनाया हुआ है और वह भी उससे जुड़े हुए हैं। वह हिसार में बैठे हुए दक्षिणी भारत और पूर्व भारत में प्रचलित माचिस उनसे मंगवा लेते हैं और यहां की माचिस उनको भेज देते हैं। इसके अलावा व्हाट्सअप भी फिलुमिनिस्ट के काफी ग्रूप बने हुए हैं और यह शौक उनको कुछ अलग बनाता है।
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