Koth Kalan Dera dispute update: Shukrainath absconded in the darkness of night, accused of taking away goods worth lakhs
शुक्राई नाथ के रात को भागने पर ग्रामीण हुए उग्र, गांव में भारी पुलिस बल तैनात, लाखों का माल ले जाने का लगाया आरोप
बाबा कालापीर मठ में बुधवार को नया बखेड़ा खड़ा हो गया। दरअसल बाबा कालापीर मठ के नए गद्दीनशीन महंत जताई नाथ के पदभार संभालने के बाद पूर्व महंत बाबा शुक्राईनाथ रात के अंधेरे में फरार हो गया। जैसे ही ग्रामीणों को इसकी भनक लगी तो वो तुरंत ही डेरे में पहुंचे और शुक्राईनाथ पर मठ के लोखों रूपयों का गोलमाल कर साथ ले जाने का आरोप लगाया। इससे पहले ग्रामीण बाबा शुक्राईनाथ पर लड़की बाजी करने का आरोप लगाते हुए रात को डेरे में लड़कियों को लाने, महिलाओं से नृत्य करवाने सहित अनेक गंभीर आरोप लगा चुके हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस प्रषासन ने सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए हुए थे।

बाबा शुक्राईनाथ के अंधेरे में भाग जाने के बाद बुधवार को गांव के लोग एक बार फिर इकट्ठे होकर डेरे में पहुंचे। गांव के पूर्व सरपंच अन्य ग्रामीणों का कहना ढोंगी बाबा शुक्राईनाथ को रात को निकाल कर ले गई है। ताकि ढोंगी बाबा से हिसाब किताब लेने में उनकी पोल खुलने के डर के चलते पहले ही उन्हें यहां से भगा दिया गया। इसको लेकर ग्रामीणों में काफी रोष बना हुआ है। ग्रामीणों ने मठ के अंदर ही बाबा शुक्राईनाथ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए महंत जताई नाथ ग्रामीणों के बीच पहुंचे और उन्हें समझा बुझाकर शांत किया।
कोथ कलां के बाबा कालापीर मठ के पूर्व महंत के चोला छोड़ने के बाद सन् 2018 से डेरे की गद्दी को लेकर बाबा शुक्राईनाथ व अन्य बाबाओं के बीच विवाद शुरू हो गया था। जिसके बाद गांव के लोग व मठ में आस्था रखने वाले लोग भी अलग अलग गुटों में बंट गए थे। लेकिन शुक्राईनाथ की राजनीति पहुंच होने के चलते वो गद्दी पर बैठ गया और गांव में एक नए विवाद ने जन्म ले लिया। उसके बाद मठ की गद्दी पर अपना दावा ठोक रहे अन्य महंत गांव कोथ कलां के मठ से चले गए। कुछ समय के बाद बाबा शुक्राईनाथ का नाम जींद जिले के गांव पेगा डेरा विवाद में भी महंत की हत्या करने के मामले में सामने आया था।
बाबा शुक्राईनाथ का नाम बार बार विवादों में आता गया और सरकार व प्रषासन में पहुंच होने के चलते उनका नाम पर हमेषा पर्दा डाल दिया जाता रहा। लेकिन करीब एक महीने पहले गांव कोथ कलां की एक बच्ची के हाथ पर आपतिजनक शब्द लिखने व रात को बाहर से डेरे में लड़कियों को लाने की भनक लगते ही ग्रामीणों ने शुक्राईनाथ की नींद उड़ा दी। ग्रामीणों ने शुक्राईनाथ के खिलाफ ऐसा मोर्चा खोला की अस्थल बोहर डेरे में बैठक कर शुक्राईनाथ को गद्दी से हटा दिया गया और उनकी जगह जताईनाथ को गद्दी सौंप दी गई।
जब मंगलवार को बाबा कालापीर मठ में नाथ संप्रदाय की गरीमा के मुताबिक जब महंत जताईनाथ को गद्दी सौंपी तो गांव में शांति छा गई। वहीं बाबाओं की तरफ से भी अलग अलग तरह के ब्यान सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। कोई शुक्राईनाथ को ढ़ोंगी बाबा, कोई आर्य समाजी विचारधारा का व्यक्ति करार दे रहा था। कोई धोखाधड़ी करने का आरोप लगा रहा था। गांव के पूर्व सरपंच अनिल कोथ ने शुक्राईनाथ पर डेरे के बिजली के बकाया 6 लाख रूपए से ज्यादा बिजली बिल पर भी सवाल उठाए थे। वहीं मंगलवार को ही ग्रामीण मठ की जमीन का शुक्राईनाथ द्वारा करवाए गए पट्टानामा को रद्द करवाने की मांग को लेकर नारनौंद के एसडीएम मोहित महराणा से मिले थे।
गांव कोथ कलां व आसपास के लोग बाबा शुक्राईनाथ को रंगीला बाबा के नाम से भी पुकारते थे। ग्रामीणों का आरोप है कि बाबा दिखावे के लिए नशे के खिलाफ था और रात के अंधेरे में मठ के अंदर शराब पीता था। साथ ही बाहर से महिलाओं को लाकर रात रात भर मठ में रख कर रंगरेलियां मनाने का आरोप लोगों द्वारा लगाए गए थे । इसके अलावा बाबा दूसरे शहरों में जाकर क्लबों में भी मौज मस्ती करता था। ग्रामीणों का आरोप है कि बाबा शुक्राईनाथ डेरे की आमदनी का अपने निजी कार्यो के साथ साथ अपनी मौजू मस्ती में उड़ा रहा था।
ग्रामीण पूर्व सरपंच अनिल कोथ व बारह खाप के पूर्व प्रधान सुरेष कोथ ने कहा कि बाबा शुक्राईनाथ कोई साधु नहीं है वो एक राजनीतिक विचारधारा का व्यक्ति था। जिसने पिछले सात सालों में गांव के भाईचारे को खराब करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। अब डेरे की गद्दी पर महंत जताईनाथ को बैठाया गया तो हिसाब किताब देने की बजाय ढ़ोंगी बाबा शुक्राईनाथ के रात के अंधेरे में भाग जाने से उसकी सच्चाई उसके अंधभक्तों के सामने आ गई है।
योगी बालकनाथ ने मीडिया को बताया कि यह डेरा नाथों का डेरा है और नाथ संप्रदाय ने ही इसको लेकर निर्णय लिया है। ये किसी पंचायत या व्यक्ति विशेष का फैसला नहीं है। नाथ संप्रदाय कोई भी फैसला समाज हित में लेते हैं। लोगों की आस्था गद्दी में होनी चाहिए ना कि किसी व्यक्ति विशेष में। उन्होंने लोगों से आग्रह करते हुए कहा कि वो अपना भाईचारा पूर्ण रूप से बनाकर रखें और पूजा पाठ में ध्यान दें।
आपको बता दें कि बाबा शुक्राईनाथ अपने विरोधियों को रास्ते से हटाना अच्छी तरह से जानते थे, अगर कोई उनके समझाने से ना माने तो वो कानूनी तरीके से प्रषासन का दबाव बनाकर उसको हटा देते थे। अगर कोई फिर भी ना मानें तो अदालत में मानहानि या दूसरी याचिकाएं दायर कर उसको डराने का प्रयास किया जाता था। लड़की के हाथ पर आपतिजनक शब्द लिखने के बाद उनके खिलाफ उठी आवाज को दबाने के लिए भी बाबा ने अदालत में याचिका दायर कर गांव के चुनिंदा लोगों को मठ में आने पर प्रतिबंधित करने की मांग को लेकर स्टे मांगा था। लेकिन ग्रामीणों ने इस मामले की पैरवी करने के लिए युवा वकीलों को खड़ा किया। जिससे अदालत में युवा वकील विजयवीर चहल व विकास चहल एडवोकेट ने बाबा की दलीलों को ना अदालत में नकारा साबित कर दिया बल्कि बाबा की याचिका को भी खारिज करवा दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि गांव ही नहीं बल्कि आसपास के गांव के लोगों ने बारह खाप के नेतृत्व में ढ़ोंगी बाबा को यहां से निकालने में जी जान लगा दी। वहीं अदालत में बाबा को उसकी औकात दिखाने के लिए युवा वकीलों ने भी कड़ी मेहनत कर ये साबित कर दिया कि अदालत में सबूतों के आगे कोई बुराई नहीं टिक पाती। आखिरकार दोनों तरफ से घिरे बाबा शुक्राईनाथ को रात के अंधेरे में डेरे से भागना पड़ा।
वहीं महंत जताईनाथ को गद्दी सौंपने के बाद बाबा शुक्राईनाथ की वीडियो भी सोषल मीडिया पर सामने आई जिसमें वो अपने आप इस गद्दी से हटने के लिए त्यागपत्र देने की बात करते हुए बोल रहे हैं कि गांव के भाईचारे को बनाए रखने के लिए उन्होंने ऐसा कदम उठाया है। ताकि गांव का माहौल खराब ना हो। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की मांग की थी और कहा था कि कुछ समय बाद वो गांव में आकर उनके श्रृद्धालाुओं के अलावा दूसरे पक्ष के लोगों से मिलकर गांव में षांति बहाली कर भाईचारे को मजबूत करने की अपील करेंगे।
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