90 lakh water cooler scam in Jind block committee
Jind ब्लॉक समिति मेंबर ने लगाया बिना काम फर्जी बिल पास करने का आरोप, 2 साल पहले 90 लाख का प्रस्ताव हुआ पास, लेकिन अब तक नहीं लगा एक भी वाटर कूलर
Jind News : एक तरफ प्रदेश सरकार हरियाणा में करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ करप्शन के मुद्दे के उठाने वाले जनप्रतिनिधियों को परेशान किया जा रहा है। जींद ब्लॉक समिति के वार्ड-11 की मेम्बर ऊषा देवी ने आरोप लगाया है कि ब्लॉक समिति ने उनके वार्ड में मुश्किल से 5 लाख रुपए का काम करवाया गया है, जबकि बिल 25 लाख रुपए से ज्यादा के बने हुए हैं। अनेक ऐसे बिल हैं जो काम हुआ ही नहीं और फर्जी बिल बनाकर भुगतान किया हुआ दिखा दिया गया है।
Jind ब्लॉकसमति में 6 करोड़ का घोटाले का आरोप
उनका आरोप है कि जींद ब्लॉक समिति में 30 वार्ड हैं और अगर इसी प्रकार से हर वार्ड में हुआ हो तो जींद ब्लॉक समिति में ही 6 करोड़ रुपए से ज्यादा का घोटाला है। इस मामले में उन्होंने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री हरियाणा तक गुहार लगा ली है, लेकिन अभी तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
उनका कहना है कि उनकी शिकायत की जांच जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी कर रहे हैं, लेकिन खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी उनके द्वारा बुलाई गई जांच बैठक में शामिल ही नहीं हो रहे। यहां तक कि इस बारे में डीडीपीओ ने बीडीपीओ को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था, लेकिन इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। अभी शुक्रवार को जांच के लिए बैठक होनी थी, लेकिन मौके पर न तो डी.डी.पी.ओ. ही थे और न ही बीडीपीओ पहुंचे। जब वह वहां पहुंचे तो उन्हें कहा गया कि आज जांच के लिए होने वाली बैठक रद्द कर दी गई है। ( Jind News Today in Hindi )
ऊषा देवी सवाल उठाती हैं कि जब जांच के लिए बैठक बुलाने की जानकारी व्हाट्सएप पर दी जा सकती है तो बैठक रद्द करने की सूचना क्यों नहीं दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके वार्ड में कुछ तो ऐसे बिल हैं जो पूरी तरह से फर्जी हैं। वृद्ध आश्रम और एक चौपाल में भारी-भरकम लोहे के गेट लगाने की बात कही गई है, लेकिन हकीकत यह है कि वहां ऐसा कोई गेट लगा ही नहीं। उन्होंने बताया कि एक ही दिन में एक ही फर्म से एक ही अमाऊंट के 3-3 बिल बनवाए गए हैं, जो नियम अनुसार सही नहीं है और इन सभी का भुगतान भी हो चुका है।

ऊषा देवी ने आरोप लगाया कि उनके वार्ड में 60 एम.एम. के ब्लॉक लगाकर 80 एम. एम. के ब्लॉक दिखाया गया है। और इतने ब्लॉकों के बिल बने हैं कि उस जगह पर इतने ब्लॉक लग ही नहीं सकते। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने यह मामला उठाया तो उसके बाद ब्लॉक समिति चेयरपर्सन ने उन्हें सस्पैंड करने की धमकी भी दे डाली। इस मामले में ब्लॉक समिति सदस्य हरियाणा के मुख्यमंत्री से मिली थीं और मुख्यमंत्री ने उन्हें इस मामले की जल्द जांच का आश्वासन भी दिया था, लेकिन एक महीना बीतने के बावजूद इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। ( Jind block samiti corruption News )
चल रही है जांच : सुरेंद्र खत्री
इस संबंध में जींद के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी सुरेंद्र खत्री से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि ऊषा देवी द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच चल रही है। जब उनसे डीडीपीओ द्वारा की जा रही जांच में बीडीपीओ के शामिल नहीं होने की बात कही गई तो उन्होंने कहा कि वह हाल ही में उनकी यहां नियुक्ति हुई हैं और उनकी नियुक्ति के बाद शुक्रवार को पहली बार जांच बैठक बुलाई गई थी, लेकिन जिला अधिकारी के ट्रेनिंग कार्यक्रम में चले जाने पर इस बैठक को रद्द कर दिया गया। उन्होंने यह बताने से इन्कार कर दिया कि यह जांच कब तक पूरी हो जाएगी। ( Panchayat samiti corruption in Haryana )
भाजपा कार्यकत्री के साथ ही ऐसा व्यवहार
यूं तो हरियाणा में करप्शन पर जीरो टॉलरेंस की बात कही जा रही है, लेकिन भाजपा की महिला कार्यकर्त्ता द्वारा उठाई जा रही आवाज को ही अभी तक सुना नहीं जा सका है। उषा देवी भाजपा की रामराय मंडल की सचिव हैं। जींद ब्लॉक समिति में करप्शन के मामले को उन्होंने हर मंच पर उठाने का काम किया है, लेकिन इसके बावजूद इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। ( Today Jind latest News in Hindi )
2 साल से इंतजार कर रहे वाटर कूलरों का पानी पीने को
ऊषा देवी ने बताया कि हर वार्ड में 5 वाटर कूलर लगाने की बात कही गई थी और 30 वार्डों में कुल 150 वाटर कूलर के लिए 90 लाख रुपए स्वीकार किए गए थे। लेकिन आज तक वाटर कूलर किसी भी वार्ड में नहीं लग पाए हैं। इस मामले में जब डी.डी.पी.ओ. ने जानकारी मांगनी चाही तो उन्हें भी फाइल देखकर बताने की बात कह कर टाल दिया गया। Haryana Panchayat corruption news in Hindi )
आरटीआई में आसानी से नहीं मिली जानकारी
इस मामले में जब ऊषा देवी की ओर से आरटीआई लगाई गई तो उन्हें आरटीआई की जानकारी देने में भी कोताही बरती गई। उन्होंने बताया कि उन्हें 3 महीने बाद जानकारी तब दी गई जब उन्होंने इस मामले में अपील दायर कर दी थी। जबकि आरटीआई में एक महीने में जानकारी देने का प्रावधान है। ( Abtak Haryana News )
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