Railway police SHO Vinod Sharma dadagiri : विवादों में फंसे एसएचओ, गैराज खाली करवाने की धमकी और बदमाशों से संबंध बताने के दावे
Hisar News Today : बरवाला चुंगी बाइपास के पास स्थित शिव कार गैराज को जबरन खाली करवाने की कोशिश में खुद को Railway police SHO बताने वाले विनोद शर्मा इन दिनों गहरे विवादों में घिर गए हैं। वायरल हो रहे वीडियो में वे न केवल गैराज कर्मचारियों से गाली-गलौच और दबंगई करते दिखाई दे रहे हैं, बल्कि प्रदेश के नामी बदमाशों से अपने संबंध होने का दावा भी कर रहे हैं।
वीडियो में क्या है?
पहले वायरल वीडियो (9 सेकंड) में विनोद शर्मा गैराज पहुंचते हैं और वहां काम कर रहे मिस्त्रियों से कहते हैं –
“तुम्हें लाल बत्ती गाड़ी नहीं दिखी? एसएचओ को चायपानी पूछने की बजाय काम में लगे हो।”
दूसरे वीडियो (36 सेकंड) में वे कहते सुने जा सकते हैं –
“मैं वो अधिकारी हूं जो मंत्रियों की भी … निकाल देता हूं। मैं दसकी नहीं देता, यह मेरा मकान है, यहां बैठे हो।”
जब गैराज कर्मचारी उन्हें रोकने और पुलिस बुलाने की बात करते हैं, तो Railway police SHO विनोद शर्मा धमकाते हुए कहते हैं ——–
“तुम चाहे 112 बुलवा लो या 140, मेरे बदमाशों से संबंध हैं। आठ जाटों के मर्डर हो चुके हैं।”
इसी दौरान वे कई बदमाशों के नाम गिनाते हैं और इन्द्र गुर्जर जैसे कुख्यात अपराधियों से जुड़ाव की बात भी खुलेआम करते हैं।
एक अन्य वीडियो (15 सेकंड) में वे अपने को रेलवे थाना का एसएचओ बताते हुए कहते हैं –
“गंगवा साहब के पास मेरा भाई ड्राइवर है।”
इस पूरे प्रकरण को लेकर शिव कार गैराज में कार्यरत तलवंडी राणा निवासी सारदूल वर्मा और नारनौंद निवासी राजेश सैनी ने एसपी हिसार, एसपी रेलवे और हरियाणा पुलिस महानिदेशक को लिखित शिकायत दी है। शिकायत में कहा गया है कि Railway police SHO विनोद शर्मा ने सरकारी पद और गाड़ी का दुरुपयोग करते हुए उन्हें धमकाया और गैराज खाली करने का दबाव बनाया। शिकायतकर्ताओं ने वीडियो फुटेज भी साक्ष्य के तौर पर पुलिस अधिकारियों को सौंपे हैं और तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
कानूनी पहलू
कानून के जानकारों के अनुसार, किसी भी संपत्ति विवाद में कार्रवाई का अधिकार केवल स्थानीय पुलिस और न्यायालय के पास होता है। रेलवे पुलिस का कार्यक्षेत्र रेलवे स्टेशन और उससे जुड़े परिसरों तक सीमित है। ऐसे में किसी निजी विवाद या कब्जे को लेकर रेलवे पुलिस का हस्तक्षेप न केवल गैर-कानूनी है बल्कि सेवा नियमों का भी उल्लंघन है।
भारतीय दंड संहिता (IPC) के अंतर्गत:
धारा 341, 342 – जबरन रोकने और अवैध रूप से रोककर रखने पर दंडनीय अपराध।
धारा 504, 506 – गाली-गलौज और आपराधिक धमकी।
धारा 166 – पद का दुरुपयोग कर अवैध कार्यवाही।
धारा 120B, 34 – आपराधिक साजिश व सामूहिक अपराध की श्रेणी में मामला आ सकता है।
यदि Railway police SHO विनोद शर्मा ने वाकई अपराधियों से संबंध होने का दावा किया है, तो यह पुलिस सेवा आचार संहिता का गंभीर उल्लंघन है और उनकी भूमिका की सीबीआई या विजिलेंस जांच तक की जा सकती है।
किसकी गाड़ी थी?
वायरल वीडियो में जो लाल बत्ती वाली गाड़ी (नंबर HR03 GV 2504) उपयोग में लाई गई, उसकी भी जांच जरूरी है। सवाल यह है कि यह वाहन किस रेलवे थाने की है और किन परिस्थितियों में हिसार क्षेत्र में लाया गया। यदि यह सरकारी वाहन है तो निजी विवाद में उसका प्रयोग सीधे तौर पर **सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग माना जाएगा।
क्या होना चाहिए?
- तुरंत निलंबन* – प्रारंभिक स्तर पर संबंधित अधिकारी को निष्पक्ष जांच तक निलंबित किया जाना चाहिए।
- जांच समिति गठित हो* – स्थानीय पुलिस, रेलवे पुलिस और जिला प्रशासन मिलकर संयुक्त जांच करें।
- संपत्ति विवाद का हल* – यदि वास्तव में जमीन पर कोई विवाद है तो उसका समाधान केवल अदालत या राजस्व विभाग द्वारा किया जा सकता है।
4. वीडियो की फोरेंसिक जांच – वीडियो असली है या एडिटेड, यह जांच आवश्यक है।
समाज में प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि कानून व्यवस्था संभालने वाले अधिकारी ही दबंगई दिखाने लगेंगे तो आम जनता न्याय की उम्मीद किससे करेगी। यह मामला केवल एक गैराज का नहीं बल्कि पूरे तंत्र की साख से जुड़ा हुआ है।
जब इस बारे में तथाकथित रेलवे पुलिस एस एच ओ विनोद शर्मा से बातचीत करनी चाही तो उनसे संपर्क नहीं हुआ। इस खबर में जो आरोप लगाए गए हैं हरियाणा न्यूज अब तक उनकी पुष्टि नहीं करता। यह पुलिस जांच का विषय है कि असल में मामला क्या है।
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