Sawan Aaya Re : Sawan ka mahatva din aaya re, mast hothon per nikhaar aaya re
सावन आया !! सावन आया !! शिव भोले भक्त कांवडिये !! ‘गंगाजल भरे कांवड़’ ला रहे !! दिलदारी दिखला रहे !! जयकारे लगा रहे !!
आई रे !! आई रे!! आई रे !! सावन की रिमझिम बहार आई रे। लाई रे !! लाई रे !! लाई रे!! बागों में हरियाली की बहार लाई रे।। आई रे!!…….. हरियाली की बहार लाई रे।।
सावन का महकता दिन आया!! मस्त होठों पर निखार लाया।
भोले बाबा के दीवानों ने !! शिवलिंग पे दूध-गंगाजल चढ़ाया।। किया श्रृंगार बेल पत्रों से !! मनचाहे फलों से वाह भोग लगाया। नागपाल बाबा के भक्तों ने !! दिल की प्रीत सच्ची दिखलाई रे।। आई रे !!…….. हरियाली की बहार लाई रे।।
घड़ियालों के मीठे सुर गूंज रहे !! शिव दीवाने भक्ति में झूम रहे। मंदिरों के द्वार चूम रहे !! परिक्रमा कर रहे चारों तरफघूम रहे।।
हाथों में थामा है हाथ भक्तों ने !! मीठे मीठे बोलों पर झूम रहे। कितना पावन दिन आया !! भक्त भोले बाबा के हुए सौदाई रे।। आई रे !!. हरियाली की बहार लाई रे।।
बम-बम भोलेनाथ !! बम बम भोलेनाथ !! जयकारे लगा रहे। चढ़ा गया नशा जैसे भांग का !! जो भी देखे मन को भा रहे।। शिव शंकर के लाखों पुजारी !! द्वारे दरियादिली दिखला रहे। कैलाश पर्वत से भोले बाबा जी ने !! नदिया भांग की बहाई रे ।। आई रे!!…….. हरियाली की बहार लाई रे।।
हरिद्वार से कावड़ की तैयारी!! कांवड़िये दिखला रहे दिलदारी। जोश-ए-जुनूं उत्साह है छाया !! कब निकलेंगे मार के उडारी ।। नंदी बैल पर सजधज निकली !! भोले शंकर भंडारी की सवारी। शिवनाथ भोले भक्तजनों को !! छवि मस्ती की दी दिखलाई रे ।। आई रे!!…….. हरियाली की बहार लाई रे।।
लाचारों गरीबों को भोले के भक्त !! फल प्रसाद कपड़े बांट रहे। गठरिया कपड़ों की उनके आगे!! अपनी मन पसंद छांट रहे।। दे रहे आशीर्वाद भोले बाबा !! दया दान का सदा आगे हाथ रहे। भोले-पार्वती !! की पूजा का दिन !! बनी नैनों की रसमलाई रे।। आई रे!!. हरियाली की बहार लाई रे।।
कहें झिलमिल कविराय !! श्रावण की हार्दिक शुभकामनाएं। आंगन में खुशियों की बहार आए !! मन में नए विचार लाए ।। परस्पर प्रेम-प्यार बढ़ता जाए !! रंग सावन का चढ़ता जाए। गिले-शिकवे मन से भूल जाएं!! शोभा हो जग की बढ़ाई रे।। आई रे!!…….. हरियाली की बहार लाई रे।।
अशोक अरोड़ा ।